योएल 2:12-17

योएल 2:12-17 HINOVBSI

“तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते–पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर,” अपने परमेश्‍वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, करुणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है। क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का अन्नबलि और अर्घ दिया जाए। सिय्योन में नरसिंगा फूँको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो; लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्‍चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दुल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हिन भी अपने कमरे से निकल आएँ। याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आँगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, “हे यहोवा, अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न जाति–जाति उसकी उपमा देने पाएँ। जाति–जाति के लोग आपस में क्यों कहने पाएँ, ‘उनका परमेश्‍वर कहाँ रहा?’ ”

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योएल 2:12-17 - “तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते–पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर,” अपने परमेश्‍वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, करुणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है। क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का अन्नबलि और अर्घ दिया जाए।
सिय्योन में नरसिंगा फूँको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो; लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्‍चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दुल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हिन भी अपने कमरे से निकल आएँ।
याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आँगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, “हे यहोवा, अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न जाति–जाति उसकी उपमा देने पाएँ। जाति–जाति के लोग आपस में क्यों कहने पाएँ, ‘उनका परमेश्‍वर कहाँ रहा?’ ”योएल 2:12-17 - “तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते–पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर,” अपने परमेश्‍वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, करुणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है। क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का अन्नबलि और अर्घ दिया जाए।
सिय्योन में नरसिंगा फूँको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो; लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्‍चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दुल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हिन भी अपने कमरे से निकल आएँ।
याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आँगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, “हे यहोवा, अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न जाति–जाति उसकी उपमा देने पाएँ। जाति–जाति के लोग आपस में क्यों कहने पाएँ, ‘उनका परमेश्‍वर कहाँ रहा?’ ”

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