यह सुन यहूदियों ने उससे कहा, “क्या हम ठीक नहीं कहते कि तू सामरी है, और तुझ में दुष्टात्मा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “मुझ में दुष्टात्मा नहीं; परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूँ, और तुम मेरा निरादर करते हो। परन्तु मैं अपनी प्रतिष्ठा नहीं चाहता; हाँ, एक है जो चाहता है और न्याय करता है। मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि यदि कोई व्यक्ति मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्त काल तक मृत्यु को न देखेगा।” यहूदियों ने उस से कहा, “अब हम ने जान लिया कि तुझ में दुष्टात्मा है। अब्राहम मर गया, और भविष्यद्वक्ता भी मर गए हैं; और तू कहता है, ‘यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्त काल तक मृत्यु का स्वाद न चखेगा।’ हमारा पिता अब्राहम तो मर गया। क्या तू उस से बड़ा है? और भविष्यद्वक्ता भी मर गए। तू अपने आप को क्या ठहराता है?” यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं आप अपनी महिमा करूँ, तो मेरी महिमा कुछ नहीं; परन्तु मेरी महिमा करनेवाला मेरा पिता है, जिसे तुम कहते हो कि वह तुम्हारा परमेश्वर है। तुमने तो उसे नहीं जाना : परन्तु मैं उसे जानता हूँ। यदि मैं कहूँ कि मैं उसे नहीं जानता, तो मैं तुम्हारी तरह झूठा ठहरूँगा; परन्तु मैं उसे जानता और उसके वचन पर चलता हूँ। तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था; और उसने देखा और आनन्द किया।” यहूदियों ने उससे कहा, “अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तू ने अब्राहम को देखा है?” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ।” तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए,परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया।
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