इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात् तिबिरियास की झील के पार गया। और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्चर्यकर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उनको देखते थे। तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपने चेलों के साथ वहाँ बैठ गया। यहूदियों के फसह का पर्व निकट था। जब यीशु ने अपनी आँखें उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, तो फिलिप्पुस से कहा, “हम इनके भोजन के लिये कहाँ से रोटी मोल लाएँ?” उसने यह बात उसे परखने के लिये कही, क्योंकि वह आप जानता था कि वह क्या करेगा। फिलिप्पुस ने उसको उत्तर दिया, “दो सौ दीनार की रोटी भी उनके लिये पूरी न होंगी कि उनमें से हर एक को थोड़ी थोड़ी मिल जाए।” उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उससे कहा, “यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटी और दो मछलियाँ हैं; परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं?” यीशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो।” उस जगह बहुत घास थी : तब लोग जिनमें पुरुषों की संख्या लगभग पाँच हज़ार की थी, बैठ गए। तब यीशु ने रोटियाँ लीं, और धन्यवाद करके बैठनेवालों को बाँट दीं; और वैसे ही मछलियों में से जितनी वे चाहते थे बाँट दिया।
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