इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया, और इस रीति से प्रगट किया : शमौन पतरस, और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना नगर का नतनएल, और जब्दी के पुत्र, और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे। शमौन पतरस ने उनसे कहा, “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ।” उन्होंने उससे कहा, “हम भी तेरे साथ चलते हैं।” अत: वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा। भोर होते ही यीशु किनारे पर आ खड़ा हुआ; तौभी चेलों ने नहीं पहचाना कि यह यीशु है। तब यीशु ने उन से कहा, “हे बालको, क्या तुम्हारे पास कुछ मछलियाँ हैं?” उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं।” उसने उनसे कहा, “नाव की दाहिनी ओर जाल डालो तो पाओगे।” अत: उन्होंने जाल डाला, और अब मछलियों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके। तब उस चेले ने जिससे यीशु प्रेम रखता था, पतरस से कहा, “यह तो प्रभु है!” शमौन पतरस ने यह सुनकर कि वह प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा। परन्तु दूसरे चेले डोंगी पर मछलियों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, पर कोई दो सौ हाथ पर थे। जब वे किनारे पर उतरे, तो उन्होंने कोयले की आग और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी। यीशु ने उनसे कहा, “जो मछलियाँ तुम ने अभी पकड़ी हैं, उनमें से कुछ लाओ।”
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