यूहन्ना 14:1-20

यूहन्ना 14:1-20 HINOVBSI

“तुम्हारा मन व्याकुल न हो; परमेश्‍वर पर विश्‍वास रखो और मुझ पर भी विश्‍वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुम से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो। जहाँ मैं जाता हूँ तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।” थोमा ने उससे कहा, “हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जा रहा है; तो मार्ग कैसे जानें?” यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता। यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते; और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।” फिलिप्पुस ने उससे कहा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।” यीशु ने उससे कहा, “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो। “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो मुझ पर विश्‍वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा, वरन् इनसे भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ। जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोगे, वही मैं करूँगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो। यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं उसे करूँगा। “यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे। मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है; तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। “मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा; मैं तुम्हारे पास आता हूँ। और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे; इसलिये कि मैं जीवित हूँ, तुम भी जीवित रहोगे। उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।