यीशु मार्था और उसकी बहिन और लाज़र से प्रेम रखता था। फिर भी जब उसने सुना कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया। इसके बाद उसने चेलों से कहा, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।” चेलों ने उस से कहा, “हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझ पर पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?” यीशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन में चले तो ठोकर नहीं खाता, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। परन्तु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है, क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं।” उसने ये बातें कहीं, और इसके बाद उनसे कहने लगा, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।” तब चेलों ने उस से कहा, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो स्वस्थ हो जाएगा।” यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था, परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा। तब यीशु ने उनसे साफ साफ कह दिया, “लाज़र मर गया है; और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।” तब थोमा ने जो दिद्मुस कहलाता है, अपने साथी चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।”
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