यिर्मयाह 31:2-13

यिर्मयाह 31:2-13 HINOVBSI

यहोवा यों कहता है : “जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्राम देने के लिये तैयार हुआ।” “यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है : मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है। हे इस्राएली कुमारी कन्या! मैं तुझे फिर बसाऊँगा; वहाँ तू फिर सिंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करनेवालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी, तू शोमरोन के पहाड़ों पर अंगूर की बारियाँ फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएँगे, वे उनके फल भी खाने पाएँगे। क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिसमें एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे : ‘उठो, हम अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास सिय्योन को चलें।’ ” क्योंकि यहोवा यों कहता है : “याकूब के कारण आनन्द से जयजयकार करो : जातियों में जो श्रेष्‍ठ है उसके लिये ऊँचे शब्द से स्तुति करो, और कहो, ‘हे यहोवा, अपनी प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगों का भी उद्धार कर।’ देखो, मैं उनको उत्तर देश से ले आऊँगा, और पृथ्वी के कोने कोने से इकट्ठे करूँगा; और उनके बीच अंधे, लंगड़े, गर्भवती, और ज़च्‍चा स्त्रियाँ भी आएँगी; एक बड़ी मण्डली यहाँ लौट आएगी। वे आँसू बहाते हुए आएँगे और गिड़गिड़ाते हुए मेरे द्वारा पहुँचाए जाएँगे, मैं उन्हें नदियों के किनारे किनारे से और ऐसे चौरस मार्ग से ले आऊँगा, जिससे वे ठोकर न खाने पाएँगे; क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ और एप्रैम मेरा जेठा है। “हे जाति जाति के लोगो, यहोवा का वचन सुनो, और दूर दूर के द्वीपों में भी इसका प्रचार करो; कहो, ‘जिसने इस्राएलियों को तितर–बितर किया था, वही उन्हें इकट्ठे भी करेगा, और उनकी ऐसी रक्षा करेगा जैसी चरवाहा अपने झुण्ड की करता है।’ क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया, और उस शत्रु के पंजे से जो उस से अधिक बलवन्त है, उसे छुटकारा दिया है। इसलिये वे सिय्योन की चोटी पर आकर जयजयकार करेंगे, और यहोवा से अनाज, नया दाखमधु, टटका तेल, भेड़–बकरियाँ और गाय–बैलों के बच्‍चे आदि उत्तम उत्तम दान पाने के लिये ताँता बाँधकर चलेंगे; और उनका प्राण सींची हुई बारी के समान होगा, और वे फिर कभी उदास न होंगे। उस समय उनकी कुमारियाँ नाचती हुई हर्ष करेंगी, और जवान और बूढ़े एक संग आनन्द करेंगे। क्योंकि मैं उनके शोक को दूर करके उन्हें आनन्दित करूँगा, मैं उन्हें शान्ति दूँगा, और दु:ख के बदले आनन्द दूँगा।