न्यायियों 11:11-40

न्यायियों 11:11-40 HINOVBSI

तब यिप्‍तह गिलाद के वृद्ध लोगों के संग चला, और लोगों ने उसको अपने ऊपर मुखिया और प्रधान ठहराया; और यिप्‍तह ने अपनी सब बातें मिस्पा में यहोवा के सम्मुख कह सुनाईं। तब यिप्‍तह ने अम्मोनियों के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, “तुझे मुझ से क्या काम कि तू मेरे देश में लड़ने आया है?” अम्मोनियों के राजा ने यिप्‍तह के दूतों से कहा, “कारण यह है कि जब इस्राएली मिस्र से आए, तब अर्नोन से यब्बोक और यरदन तक जो मेरा देश था उसको उन्होंने छीन लिया; इसलिये अब उसको बिना झगड़ा किए फेर दे।” तब यिप्‍तह ने फिर अम्मोनियों के राजा के पास यह कहने को दूत भेजे। “यिप्‍तह तुझ से यों कहता है कि इस्राएल ने न तो मोआब का देश ले लिया और न अम्मोनियों का, वरन् जब वे मिस्र से निकले, और इस्राएली जंगल में होते हुए लाल समुद्र तक चले, और कादेश को आए, तब इस्राएल ने एदोम के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, ‘मुझे अपने देश में से होकर जाने दे;’ और एदोम के राजा ने उनकी न मानी। इसी रीति उसने मोआब के राजा से भी कहला भेजा, और उसने भी न माना। इसलिये इस्राएल कादेश में रह गया। तब उसने जंगल में चलते चलते एदोम और मोआब दोनों देशों के बाहर बाहर घूमकर मोआब देश के पूर्व की ओर से आकर अर्नोन के इसी पार अपने डेरे डाले; और मोआब की सीमा के भीतर न गया, क्योंकि मोआब की सीमा अर्नोन थी। फिर इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास जो हेश्बोन का राजा था दूतों से यह कहला भेजा, ‘हमें अपने देश में से होकर हमारे स्थान को जाने दे।’ परन्तु सीहोन ने इस्राएल का इतना विश्‍वास न किया कि उसे अपने देश में से होकर जाने देता; वरन् अपनी सारी प्रजा को इकट्ठा कर अपने डेरे यहस में खड़े करके इस्राएल से लड़ा। और इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा ने सीहोन को सारी प्रजा समेत इस्राएल के हाथ में कर दिया, और उन्होंने उनको मार लिया; इसलिये इस्राएल उस देश के निवासी एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया। अर्थात् वह अर्नोन से यब्बोक तक और जंगल से ले यरदन तक एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया। इसलिये अब इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा ने अपनी इस्राएली प्रजा के सामने से एमोरियों को उनके देश में निकाल दिया है; फिर क्या तू उसका अधिकारी होने पाएगा? क्या तू उसका अधिकारी न होगा, जिसका तेरा कमोश देवता तुझे अधिकारी कर दे? इसी प्रकार से जिन लोगों को हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमारे सामने से निकाले, उनके देश के अधिकारी हम होंगे। फिर क्या तू मोआब के राजा सिप्पोर के पुत्र बालाक से कुछ अच्छा है? क्या उस ने कभी इस्राएलियों से कुछ भी झगड़ा किया? क्या वह उन से कभी लड़ा? जब कि इस्राएल हेश्बोन और उसके गाँवों में, और अरोएर और उसके गाँवों में, और अर्नोन के किनारे के सब नगरों में तीन सौ वर्ष से बसा है, तो इतने दिनों में तुम लोगों ने उसको क्यों नहीं छुड़ा लिया? मैं ने तेरा अपराध नहीं किया; तू ही मुझसे युद्ध छेड़कर बुरा व्यवहार करता है; इसलिये यहोवा जो न्यायी है, वह इस्राएलियों और अम्मोनियों के बीच में आज न्याय करे।” तौभी अम्मोनियों के राजा ने यिप्‍तह की ये बातें न मानीं जिनको उसने कहला भेजा था। तब यहोवा का आत्मा यिप्‍तह में समा गया, और वह गिलाद और मनश्शे से होकर गिलाद के मिस्पे में आया, और गिलाद के मिस्पे से होकर अम्मोनियों की ओर चला। और यिप्‍तह ने यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, “यदि तू नि:सन्देह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे, तो जब मैं कुशल के साथ अम्मोनियों के पास से लौट आऊँ तब जो कोई मेरे भेंट के लिये मेरे घर के द्वार से निकले वह यहोवा का ठहरेगा, और मैं उसे होमबलि करके चढ़ाऊँगा।” तब यिप्‍तह अम्मोनियों से लड़ने को उनकी ओर गया; और यहोवा ने उनको उसके हाथ में कर दिया। और वह अरोएर से ले मिन्नीत तक, जो बीस नगर हैं, वरन् आबेलकरामीम तक जीतते जीतते उन्हें बहुत बड़ी मार से मारता गया। और अम्मोनी इस्राएलियों से हार गए। जब यिप्‍तह मिस्पा को अपने घर आया, तब उसकी बेटी डफ बजाती और नाचती हुई उससे भेंट के लिये निकल आई; वह उसकी एकलौती थी; उसको छोड़ उसके न तो कोई बेटा था और न कोई बेटी। उसको देखते ही उसने अपने कपड़े फाड़कर कहा, “हाय, मेरी बेटी! तू ने कमर तोड़ दी, और तू भी मेरे कष्‍ट देनेवालों में हो गई; क्योंकि मैं ने यहोवा को वचन दिया है, और उसे टाल नहीं सकता।” उसने उससे कहा, “हे मेरे पिता, तू ने जो यहोवा को वचन दिया है, तो जो बात तेरे मुँह से निकली है उसी के अनुसार मुझ से बर्ताव कर, क्योंकि यहोवा ने तेरे अम्मोनी शत्रुओं से तेरा पलटा लिया है।” फिर उसने अपने पिता से कहा, “मेरे लिये यह किया जाए कि दो महीने तक मुझे छोड़े रह कि मैं अपनी सहेलियों सहित जाकर पहाड़ों पर फिरती हुई अपने कुँवारेपन पर रोती रहूँ।” उसने कहा, “जा।” तब उसने उसे दो महीने की छुट्टी दी; इसलिये वह अपनी सहेलियों सहित चली गई, और पहाड़ों पर अपने कुँवारेपन पर रोती रही। दो महीने बीतने पर वह अपने पिता के पास लौट आई, और उसने उसके विषय में अपनी मानी हुई मन्नत को पूरा किया। और उस कन्या ने पुरुष का मुँह कभी न देखा था। इसलिये इस्राएलियों में यह रीति चली, कि इस्राएली स्त्रियाँ प्रतिवर्ष यिप्‍तह गिलादी की बेटी का यश गाने को वर्ष में चार दिन के लिए जाया करती थीं।