क्योंकि यदि एक पुरुष सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्र पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए, और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए, और तुम उस सुन्दर वस्त्रवाले का मुँह देखकर कहो, “तू वहाँ अच्छी जगह बैठ,” और उस कंगाल से कहो, “तू यहाँ खड़ा रह,” या “मेरे पाँवों के पास बैठ।” तो क्या तुम ने आपस में भेद–भाव न किया और बुरे विचार से न्याय करनेवाले न ठहरे? हे मेरे प्रिय भाइयो, सुनो। क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धनी और उस राज्य के अधिकारी हों, जिसकी प्रतिज्ञा उस ने उनसे की है जो उससे प्रेम रखते हैं? पर तुम ने उस कंगाल का अपमान किया। क्या धनी लोग तुम पर अत्याचार नहीं करते और क्या वे ही तुम्हें कचहरियों में घसीट घसीट कर नहीं ले जाते? क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिसके तुम कहलाते हो? तौभी यदि तुम पवित्रशास्त्र के इस वचन के अनुसार कि “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख” सचमुच उस राज व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा ही करते हो। पर यदि तुम पक्षपात करते हो तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है। क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु एक ही बात में चूक जाए तो वह सब बातों में दोषी ठहर चुका है। इसलिये कि जिसने यह कहा, “तू व्यभिचार न करना” उसी ने यह भी कहा, “तू हत्या न करना,” इसलिये यदि तू ने व्यभिचार तो नहीं किया पर हत्या की तौभी तू व्यवस्था का उल्लंघन करनेवाला ठहरा। तुम उन लोगों के समान वचन बोलो और काम भी करो, जिनका न्याय स्वतंत्रता की व्यवस्था के अनुसार होगा। क्योंकि जिसने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा : दया न्याय पर जयवन्त होती है।
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