यशायाह 37
37
राजा का यशायाह से सलाह माँगना
(2 राजा 19:1–7)
1जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़ और टाट ओढ़कर यहोवा के भवन में गया। 2उसने एल्याकीम को जो राजघराने के काम पर नियुक्त था और शेब्ना मन्त्री को और याजकों के पुरनियों को जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेज दिया। 3उन्होंने उससे कहा, “हिजकिय्याह यों कहता है, ‘आज का दिन संकट और उलाहने और निन्दा का दिन है, बच्चे जन्मने पर हुए पर ज़च्चा को जनने का बल न रहा। 4सम्भव है कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने रबशाके की बातें सुनीं जिसे उसके स्वामी अश्शूर के राजा ने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को भेजा है, और जो बातें तेरे परमेश्वर यहोवा ने सुनी हैं उसके लिये उन्हें दपटे; अत: तू इन बचे हुओं के लिये जो रह गए हैं, प्रार्थना कर#37:4 मूल में, प्रार्थना उठा ।’ ”
5जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए। 6तब यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहो, ‘यहोवा यों कहता है कि जो वचन तू ने सुने हैं जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर। 7सुन, मैं उसके मन में प्रेरणा उत्पन्न करूँगा जिससे वह कुछ समाचार सुनकर अपने देश को लौट जाए; और मैं उसको उसी के देश में तलवार से मरवा डालूँगा।’ ”
अश्शूर की पुन: धमकी
(2 राजा 19:8–19)
8तब रबशाके ने लौटकर अश्शूर के राजा को लिब्ना नगर से युद्ध करते पाया; क्योंकि उसने सुना था कि वह लाकीश के पास से उठ गया है। 9उसने कूश के राजा तिर्हाका के विषय यह सुना कि वह उससे लड़ने को निकला है। तब उसने हिजकिय्याह के पास दूतों को यह कहकर भेजा, 10“तुम यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यों कहना, ‘तेरा परमेश्वर जिस पर तू भरोसा करता है, यह कहकर तुझे धोखा न देने पाए कि यरूशलेम अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा। 11देख, तू ने सुना है कि अश्शूर के राजाओं ने सब देशों से कैसा व्यवहार किया कि उनका सत्यानाश ही कर दिया। 12फिर क्या तू बच जाएगा? गोज़ान और हारान और रेसेप में रहनेवाली जिन जातियों को और तलस्सार में रहनेवाले एदेनी लोगों को मेरे पुरखाओं ने नष्ट किया। क्या उनके देवताओं ने उन्हें बचा लिया? 13हमात का राजा, अर्पाद का राजा, सपर्वैम नगर का राजा, और हेना और इव्वा के राजा, ये सब कहाँ गए?’ ”
14इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से लेकर पढ़ा; तब उसने यहोवा के भवन में जाकर उस पत्री को यहोवा के सामने फैला दिया, 15और यहोवा से यह प्रार्थना की, 16“हे सेनाओं के यहोवा, हे करूबों पर विराजमान#निर्ग 25:22 इस्राएल के परमेश्वर, पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्वर है; आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है। 17हे यहोवा, कान लगाकर सुन; हे यहोवा, आँख खोलकर देख; और सन्हेरीब के सब वचनों को सुन ले, जिसने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को लिख भेजा है। 18हे यहोवा, सच तो है कि अश्शूर के राजाओं ने सब जातियों के देशों को#37:18 मूल में, सब देशों और उनकी भूमि को उजाड़ा है 19और उनके देवताओं को आग में झोंका है; क्योंकि वे ईश्वर न थे; वे केवल मनुष्यों की कारीगरी, काठ और पत्थर ही थे; इस कारण वे उनका नाश कर सके। 20अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा जिस से पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।”
राजा के लिये यशायाह का संदेश
(2 राजा 19:20–37)
21तब आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह कहला भेजा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है कि तू ने जो अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विषय में मुझ से प्रार्थना की है, 22उसके विषय यहोवा ने यह वचन कहा है, ‘सिय्योन की कुमारी कन्या तुझे तुच्छ जानती है और ठट्ठों में उड़ाती है; यरूशलेम की पुत्री तुझ पर सिर हिलाती है।
23‘तू ने किस की नामधराई और निन्दा की है? तू ने जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है,#37:23 मूल में, अपनी आँखें ऊपर की ओर उठाईं वह किस के विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध! 24अपने कर्मचारियों के द्वारा तू ने प्रभु की निन्दा करके कहा है कि बहुत से रथ लेकर मैं पर्वतों की चोटियों पर वरन् लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूँ; मैं उसके ऊँचे ऊँचे देवदारों और अच्छे अच्छे सनौवरों को काट डालूँगा और उसके दूर दूर के ऊँचे स्थानों में और उसके वन की फलदाई बारियों में प्रवेश करूँगा। 25मैं ने खुदवाकर पानी पिया और मिस्र की नहरों में पाँव रखते ही उन्हें सुखा दिया। 26क्या तू ने नहीं सुना कि प्राचीनकाल से मैं ने यही ठाना और पूर्वकाल से इसकी तैयारी की थी? इसलिये अब मैं ने यह पूरा भी किया है कि तू गढ़वाले नगरों को खण्डहर ही खण्डहर कर दे। 27इसी कारण उनके रहनेवालों का बल घट गया और वे विस्मित और लज्जित हुए : वे मैदान के छोटे छोटे पेड़ों और हरी घास और छत पर की घास और ऐसे अनाज#37:27 मूल में, खेत के समान हो गए जो बढ़ने से पहले ही सूख जाता है।
28‘मैं तो तेरा बैठना, कूच करना और लौट आना जानता हूँ; और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता है। 29इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी हैं, मैं तेरी नाक में नकेल डालकर और तेरे मुँह में अपनी लगाम लगाकर जिस मार्ग से तू आया है उसी मार्ग से तुझे लौटा दूँगा।’
30“और तेरे लिये यह चिह्न होगा कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगे, और दूसरे वर्ष वह जो उस से उत्पन्न हो, और तीसरे वर्ष बीज बोकर उसे लवने पाओगे और दाख की बारियाँ लगाने और उनका फल खाने पाओगे। 31यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़#37:31 मूल में, नीचे की ओर जड़ पकड़ेंगे और फले–फूलेंगे#37:31 मूल में, ऊपर की ओर फलेंगे ; 32क्योंकि यरूशलेम से बचे हुए और सिय्योन पर्वत से भागे हुए लोग निकलेंगे। सेनाओं का यहोवा अपनी जलन के कारण यह काम करेगा#37:32 मूल में, सेनाओं के यहोवा की जलन यह करेगी ।
33“इसलिये यहोवा अश्शूर के राजा के विषय यों कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा; और न वह ढाल लेकर इसके सामने आने या इसके विरुद्ध दमदमा बाँधने पाएगा। 34जिस मार्ग से वह आया है उसी से वह लौट भी जाएगा और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है। 35क्योंकि मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त, इस नगर की रक्षा करके उसे बचाऊँगा।”
36तब यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हज़ार पुरुषों को मारा; और भोर को जब लोग उठे तब क्या देखा की शव ही शव पड़े हैं। 37तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया और लौटकर नीनवे में रहने लगा। 38वहाँ वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत् कर रहा था कि इतने में उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने उसको तलवार से मारा और अरारात देश में भाग गए। तब उसका पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
वर्तमान में चयनित:
यशायाह 37: HINOVBSI
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