यशायाह 32:1-8

यशायाह 32:1-8 HINOVBSI

देखो, एक राजा धर्म से राज्य करेगा, और राजकुमार न्याय से हुकूमत करेंगे। हर एक मानो आँधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्‍त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया। उस समय देखनेवालों की आँखें धुँधली न होंगी, और सुननेवालों के कान लगे रहेंगे। उतावलों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, और तुतलानेवालों की जीभ फुर्ती से और साफ बोलेगी। मूढ़ फिर उदार न कहलाएगा और न कंजूस दानी कहा जाएगा। क्योंकि मूढ़ तो मूढ़ता ही की बातें बोलता और मन में अनर्थ ही गढ़ता रहता है कि वह अधर्म के काम करे और यहोवा के विरुद्ध झूठ कहे, भूखे को भूखा ही रहने दे और प्यासे का जल रोक रखे। छली की चालें बुरी होती हैं, वह दुष्‍ट युक्‍तियाँ निकालता है कि दरिद्र को भी झूठी बातों में लूटे जब कि वे ठीक और नम्रता से भी बोलते हों। परन्तु उदार मनुष्य उदारता ही की युक्‍तियाँ निकालता है, वह उदारता में स्थिर भी रहेगा।