यशायाह 14:12-32

यशायाह 14:12-32 HINOVBSI

“हे भोर के चमकनेवाले तारे, तू कैसे आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काटकर भूमि पर गिराया गया है? तू मन में कहता तो था, ‘मैं स्वर्ग पर चढ़ूँगा; मैं अपने सिंहासन को ईश्‍वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूँगा, मैं मेघों से भी ऊँचे ऊँचे स्थानों के ऊपर चढ़ूँगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊँगा।’ परन्तु तू अधोलोक में उस गड़हे की तह तक उतारा जाएगा। जो तुझे देखेंगे तुझ को ताकते हुए तेरे विषय में सोच सोचकर कहेंगे, ‘क्या यह वही पुरुष है जो पृथ्वी को चैन से रहने न देता था और राज्य में घबराहट डाल देता था; जो जगत को जंगल बनाता और उसके नगरों को ढा देता था, और अपने बंदियों को घर जाने नहीं देता था?’ जाति जाति के सब राजा अपने अपने घर पर महिमा के साथ आराम से पड़े हैं; परन्तु तू निकम्मी शाख के समान अपनी कबर में से फेंका गया; तू उन मारे हुओं के शवों से घिरा है जो तलवार से बिधकर गड़हे में पत्थरों के बीच में लताड़ी हुई लोथ के समान पड़े हैं। तू उनके साथ कब्र में न गाड़ा जाएगा, क्योंकि तू ने अपने देश को उजाड़ दिया, और अपनी प्रजा का घात किया है। “कुकर्मियों के वंश का नाम भी कभी न लिया जाएगा। उनके पूर्वजों के अधर्म के कारण पुत्रों के घात की तैयारी करो, ऐसा न हो कि वे फिर उठकर पृथ्वी के अधिकारी हो जाएँ, और जगत में बहुत से नगर बसाएँ।” सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, “मैं उनके विरुद्ध उठूँगा, और बेबीलोन का नाम और निशान मिटा डालूँगा, और बेटों–पोतों को काट डालूँगा,” यहोवा की यही वाणी है, “मैं उसको साही की मांद और जल की झीलें बना दूँगा, और मैं उसे सत्यानाश की झाड़ू से झाड़ डालूँगा,” सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है, “नि:सन्देह जैसा मैं ने ठान लिया है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्‍ति की है, वैसी ही पूरी होगी, कि मैं अश्शूर को अपने देश में तोड़ दूँगा, और अपने पहाड़ों पर उसे कुचल डालूँगा; तब उसका जूआ उनकी गर्दनों पर से और उसका बोझ उनके कंधों पर से उतर जाएगा।” यही युक्‍ति सारी पृथ्वी के लिये ठहराई गई है; और यह वही हाथ है जो सब जातियों पर बढ़ा हुआ है। क्योंकि सेनाओं के यहोवा ने युक्‍ति की है और कौन उसको टाल सकता है? उसका हाथ बढ़ाया गया है, उसे कौन रोक सकता है? जिस वर्ष आहाज राजा मरा उसी वर्ष यह भारी भविष्यद्वाणी हुई : “हे सारे पलिश्तीन, तू इसलिये आनन्द न कर कि तुझे मारनेवाली लाठी टूट गई, क्योंकि सर्प की जड़ से एक काला नाग उत्पन्न होगा, और उसका फल एक उड़नेवाला और तेज विषवाला अग्निसर्प होगा। तब कंगालों के जेठे खाएँगे, और दरिद्र लोग निडर बैठने पाएँगे, परन्तु मैं तेरे वंश को भूख से मार डालूँगा, और तेरे बचे हुए लोग घात किए जाएँगे। हे फाटक, तू हाय हाय कर; हे नगर, तू चिल्‍ला, हे पलिश्तीन, तू सब का सब पिघल जा! क्योंकि उत्तर से एक धूआँ उठेगा और उसकी सेना में से कोई पीछे न रहेगा।” तब जाति–जाति के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि, “यहोवा ने सिय्योन की नींव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उसमें शरण लेंगे।”