इब्रानियों 2:1-10

इब्रानियों 2:1-10 HINOVBSI

इस कारण चाहिए कि हम उन बातों पर जो हम ने सुनी हैं, और भी मन लगाएँ, ऐसा न हो कि बहककर उन से दूर चले जाएँ। क्योंकि जो वचन स्वर्गदूतों के द्वारा कहा गया था जब वह स्थिर रहा और हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक–ठीक बदला मिला, तो हम लोग ऐसे बड़े उद्धार से निश्‍चिन्त रहकर कैसे बच सकते हैं? जिसकी चर्चा पहले–पहल प्रभु के द्वारा हुई, और सुननेवालों के द्वारा हमें इसका निश्‍चय हुआ। और साथ ही परमेश्‍वर भी अपनी इच्छा के अनुसार चिह्नों, और अद्भुत कामों, और नाना प्रकार के सामर्थ्य के कामों, और पवित्र आत्मा के वरदानों के बाँटने के द्वारा इसकी गवाही देता रहा। उसने उस आनेवाले जगत को जिसकी चर्चा हम कर रहे हैं, स्वर्गदूतों के अधीन न किया। वरन् किसी ने कहीं यह गवाही दी है, “मनुष्य क्या है कि तू उसकी सुधि लेता है? या मनुष्य का पुत्र क्या है कि तू उसकी चिन्ता करता है? तू ने उसे स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया; तू ने उस पर महिमा और आदर का मुकुट रखा, और उसे अपने हाथों के कामों पर अधिकार दिया। तू ने सब कुछ उसके पाँवों के नीचे कर दिया।” इसलिये जब कि उसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, तो उसने कुछ भी रख न छोड़ा जो उसके अधीन न हो। पर हम अब तक सब कुछ उसके अधीन नहीं देखते। पर हम यीशु को जो स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दु:ख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं, ताकि परमेश्‍वर के अनुग्रह से वह हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्वाद चखे। क्योंकि जिसके लिये सब कुछ है और जिसके द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुँचाए, तो उनके उद्धार के कर्ता को दु:ख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।