भाईचारे की प्रीति बनी रहे। अतिथि–सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर–सत्कार किया है। कैदियों की ऐसी सुधि लो कि मानो उनके साथ तुम भी कैद हो, और जिनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उनकी भी यह समझकर सुधि लिया करो कि हमारी भी देह है। विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह–बिछौना निष्कलंक रहे, क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है उसी पर सन्तोष करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, “मैं तुझे कभी न छोड़ूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा।” इसलिये हम निडर होकर कहते हैं, “प्रभु मेरा सहायक है, मैं न डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है।” जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उनके चालचलन का अन्त देखकर उनके विश्वास का अनुकरण करो। यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक–सा है।
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