और तुम उस उपदेश को, जो तुम को पुत्रों के समान दिया जाता है, भूल गए हो : “हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो साहस न छोड़। क्योंकि प्रभु जिससे प्रेम करता है, उसकी ताड़ना भी करता है, और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है।” तुम दु:ख को ताड़ना समझकर सह लो; परमेश्वर तुम्हें पुत्र जानकर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है। वह कौन सा पुत्र है जिसकी ताड़ना पिता नहीं करता? यदि वह ताड़ना जिसके भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्तान ठहरे। फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे और हमने उनका आदर किया, तो क्या आत्माओं के पिता के और भी अधीन न रहें जिससे हम जीवित रहें। वे तो अपनी–अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर वह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उसकी पवित्रता के भागी हो जाएँ। वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है; तौभी जो उसको सहते–सहते पक्के हो गए हैं, बाद में उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है। इसलिये ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो, और अपने पाँवों के लिये सीधे मार्ग बनाओ कि लंगड़ा भटक न जाए पर भला चंगा हो जाए।
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