उत्पत्ति 8:13-22

उत्पत्ति 8:13-22 HINOVBSI

नूह की आयु के छ: सौ एक वर्ष के पहले महीने के पहले दिन जल पृथ्वी पर से सूख गया। तब नूह ने जहाज की छत खोलकर क्या देखा कि धरती सूख गई है। और दूसरे महीने के सत्ताईसवें दिन को पृथ्वी पूरी रीति से सूख गई। तब परमेश्‍वर ने नूह से कहा, “तू अपने पुत्रों, पत्नी, और बहुओं समेत जहाज में से निकल आ। क्या पक्षी, क्या पशु, क्या सब भाँति के रेंगनेवाले जन्तु जो पृथ्वी पर रेंगते हैं–जितने शरीरधारी जीवजन्तु तेरे संग हैं, उन सब को अपने साथ निकाल ले आ कि पृथ्वी पर उनसे बहुत बच्‍चे उत्पन्न हों; और वे फूले–फलें, और पृथ्वी पर फैल जाएँ।” तब नूह, और उसके पुत्र और पत्नी, और बहुएँ निकल आईं : और सब चौपाए, रेंगनेवाले जन्तु, और पक्षी, और जितने जीवजन्तु पृथ्वी पर चलते फिरते हैं, सब जाति जाति करके जहाज में से निकल आए। तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई; और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ कुछ लेकर वेदी पर होमबलि चढ़ाया। इस पर यहोवा ने सुखदायक सुगन्ध पाकर सोचा, “मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को शाप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है वह बुरा ही होता है; तौभी जैसा मैं ने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारूँगा। अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात, निरन्तर होते चले जाएँगे।”