तब यूसुफ अपने पिता के मुँह पर गिरकर रोया और उसे चूमा। और यूसुफ ने उन वैद्यों को, जो उसके सेवक थे, आज्ञा दी कि उसके पिता के शव में सुगन्धद्रव्य भरें। तब वैद्यों ने इस्राएल के शव में सुगन्धद्रव्य भर दिए। और उसके चालीस दिन पूरे हुए, क्योंकि जिनके शव में सुगन्धद्रव्य भरे जाते हैं, उनको इतने ही दिन पूरे लगते हैं : और मिस्री लोग उसके लिये सत्तर दिन तक विलाप करते रहे। जब उसके विलाप के दिन बीत गए, तब यूसुफ फ़िरौन के घराने के लोगों से कहने लगा, “यदि तुम्हारे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो तो मेरी यह विनती फ़िरौन को सुनाओ, मेरे पिता ने यह कहकर, ‘देख मैं मरने पर हूँ,’ मुझे यह शपथ खिलाई, ‘जो कबर मैं ने अपने लिये कनान देश में ख़ुदवाई है उसी में तू मुझे मिट्टी देगा।’ इसलिये अब मुझे वहाँ जाकर अपने पिता को मिट्टी देने की आज्ञा दे, तत्पश्चात् मैं लौट आऊँगा।” तब फ़िरौन ने कहा, “जाकर अपने पिता की खिलाई हुई शपथ के अनुसार उसको मिट्टी दे।” इसलिये यूसुफ अपने पिता को मिट्टी देने के लिये चला, और फ़िरौन के सब कर्मचारी अर्थात् उसके भवन के पुरनिये और मिस्र देश के सब पुरनिये उसके संग चले, और यूसुफ के घर के सब लोग और उसके भाई और उसके पिता के घर के सब लोग भी संग गए; पर वे अपने बाल–बच्चों, और भेड़–बकरियों, और गाय–बैलों को गोशेन देश में छोड़ गए। और उसके संग रथ और सवार गए, इस प्रकार भीड़ बहुत भारी हो गई। जब वे आताद के खलिहान तक, जो यरदन नदी के पार है, पहुँचे, तब वहाँ अत्यन्त भारी विलाप किया; और यूसुफ ने अपने पिता के लिये सात दिन का विलाप कराया। आताद के खलिहान में के विलाप को देखकर उस देश के निवासी कनानियों ने कहा, “यह तो मिस्रियों का कोई भारी विलाप होगा।” इसी कारण उस स्थान का नाम आबेलमिस्रैम पड़ा, और वह यरदन के पार है।
उत्पत्ति 50 पढ़िए
सुनें - उत्पत्ति 50
साझा करें
सभी संस्करणों की तुलना करें: उत्पत्ति 50:1-11
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो