उत्पत्ति 38:13-30

उत्पत्ति 38:13-30 HINOVBSI

और तामार को यह समाचार मिला, “तेरा ससुर अपनी भेड़–बकरियों का ऊन कतराने के लिये तिम्नाथ को जा रहा है।” तब उसने यह सोचकर कि शेला सियाना तो हो गया पर मैं उसकी स्त्री नहीं होने पाई; अपना विधवापन का पहिरावा उतारा और घूँघट डालकर अपने को ढाँप लिया, और एनैम नगर के फाटक के पास, जो तिम्नाथ के मार्ग में है, जा बैठी। जब यहूदा ने उसको देखा, उसने उसको वेश्या समझा; क्योंकि वह अपना मुँह ढाँपे हुए थी। वह मार्ग से उसकी ओर फिरा, और उससे कहने लगा, “मुझे अपने पास आने दे,” (क्योंकि उसे यह मालूम न था कि वह उसकी बहू है।) उसने कहा, “यदि मैं तुझे अपने पास आने दूँ, तो तू मुझे क्या देगा?” उसने कहा, “मैं अपनी बकरियों में से बकरी का एक बच्‍चा तेरे पास भेज दूँगा।” तब उसने कहा, “भला उसके भेजने तक क्या तू हमारे पास कुछ रेहन रख जाएगा?” उसने पूछा, “मैं तेरे पास क्या रेहन रख जाऊँ?” उसने कहा, “अपनी मुहर, और बाजूबन्द, और अपने हाथ की छड़ी।” तब उसने उसको वे वस्तुएँ दे दीं, और उसके पास गया, और वह उससे गर्भवती हुई। तब वह उठकर चली गई, और अपना घूँघट उतार के अपना विधवापन का पहिरावा फिर पहिन लिया। तब यहूदा ने बकरी का एक बच्‍चा अपने मित्र उस अदुल्‍लामवासी के हाथ भेज दिया कि वह रेहन रखी हुई वस्तुएँ उस स्त्री के हाथ से छुड़ा ले आए; पर वह स्त्री उसको न मिली। तब उसने वहाँ के लोगों से पूछा, “वह देवदासी जो एनैम में मार्ग की एक ओर बैठी थी, कहाँ है?” उन्होंने कहा, “यहाँ तो कोई देवदासी न थी।” इसलिये उसने यहूदा के पास लौट के कहा, “मुझे वह नहीं मिली; और उस स्थान के लोगों ने कहा, ‘यहाँ तो कोई देवदासी न थी’।” तब यहूदा ने कहा, “अच्छा, वह बन्धक उसी के पास रहने दे, नहीं तो हम लोग तुच्छ गिने जाएँगे; देख, मैं ने बकरी का यह बच्‍चा भेज दिया था, पर वह तुझे नहीं मिली।” लगभग तीन महीने के बाद यहूदा को यह समाचार मिला, “तेरी बहू तामार ने व्यभिचार किया है; वरन् वह व्यभिचार से गर्भवती भी हो गई है।” तब यहूदा ने कहा, “उसको बाहर ले आओ कि वह जलाई जाए।” जब उसे बाहर निकाला जा रहा था तब उसने अपने ससुर के पास यह कहला भेजा, “जिस पुरुष की ये वस्तुएँ हैं, उसी से मैं गर्भवती हूँ,” फिर उसने यह भी कहलाया, “पहिचान तो सही कि यह मुहर, और बाजूबन्द, और छड़ी किसकी हैं।” यहूदा ने उन्हें पहिचानकर कहा, “वह तो मुझ से कम दोषी है; क्योंकि मैं ने उसका अपने पुत्र शेला से विवाह न किया।” और उसने उससे फिर कभी प्रसंग न किया। जब उसके जनने का समय आया, तब यह जान पड़ा कि उसके गर्भ में जुड़वे बच्‍चे हैं। और जब वह जनने लगी तब एक बालक का हाथ बाहर आया, और धाय ने लाल सूत लेकर उसके हाथ में यह कहते हुए बाँध दिया, “पहले यही उत्पन्न हुआ।” जब उसने हाथ समेट लिया, तब उसका भाई उत्पन्न हो गया। तब उस धाय ने कहा, “तू क्यों बरबस निकल आया है?” इसलिये उसका नाम पेरेस रखा गया। पीछे उसका भाई जिसके हाथ में लाल सूत बन्धा था उत्पन्न हुआ, और उसका नाम जेरह रखा गया।