तीसरे दिन, जब वे लोग पीड़ित पड़े थे, तब ऐसा हुआ कि शिमोन और लेवी नामक याक़ूब के दो पुत्रों ने, जो दीना के भाई थे, अपनी अपनी तलवार ले उस नगर में निधड़क घुसकर सब पुरुषों को घात किया। हमोर और उसके पुत्र शकेम को उन्होंने तलवार से मार डाला, और दीना को शकेम के घर से निकाल ले गए। याक़ूब के पुत्रों ने घात कर डालने पर भी चढ़कर नगर को इसलिये लूट लिया कि उस में उनकी बहिन अशुद्ध की गई थी। उन्होंने भेड़–बकरी, और गाय–बैल, और गदहे, और नगर और मैदान में जितना धन था ले लिया। उस सब को, और उनके बाल–बच्चों, और स्त्रियों को भी हर ले गए, वरन् घर घर में जो कुछ था उसको भी उन्होंने लूट लिया। तब याक़ूब ने शिमोन और लेवी से कहा, “तुम ने जो इस देश के निवासी कनानियों और परिज्जियों के मन में मेरे प्रति घृणा उत्पन्न कराई है, इस से तुम ने मुझे संकट में डाला है, क्योंकि मेरे साथ तो थोड़े ही लोग हैं; इसलिये अब वे इकट्ठे होकर मुझ पर चढ़ेंगे, और मुझे मार डालेंगे, तो मैं अपने घराने समेत नष्ट हो जाऊँगा।” उन्होंने कहा, “क्या वह हमारी बहिन के साथ वेश्या के समान बर्ताव करे?”
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