उत्पत्ति 33:1-11

उत्पत्ति 33:1-11 HINOVBSI

याक़ूब ने आँखें उठाकर यह देखा कि एसाव चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला आता है। तब उसने बच्‍चों को अलग–अलग बाँटकर लिआ: और राहेल और दोनों दासियों को सौंप दिया। और उसने सबसे आगे लड़कों समेत दासियों को, उसके पीछे लड़कों समेत लिआ: को और सब के पीछे राहेल और यूसुफ को रखा, और आप उन सब के आगे बढ़ा और सात बार भूमि पर गिर के दण्डवत् की, और अपने भाई के पास पहुँचा। तब एसाव उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगाकर, गले से लिपटकर चूमा; फिर वे दोनों रो पड़े। तब उसने आँखें उठाकर स्त्रियों और बच्‍चों को देखा, और पूछा, “ये जो तेरे साथ हैं वे कौन हैं?” उसने कहा, “ये तेरे दास के लड़के हैं, जिन्हें परमेश्‍वर ने अनुग्रह करके मुझ को दिया है।” तब लड़कों समेत दासियों ने निकट आकर दण्डवत् किया; फिर लड़कों समेत लिआ: निकट आई और उन्होंने भी दण्डवत् किया; अन्त में यूसुफ और राहेल ने भी निकट आकर दण्डवत् किया। तब उसने पूछा, “तेरा यह बड़ा दल जो मुझ को मिला, उसका क्या प्रयोजन है?” उसने कहा, “यह कि मेरे प्रभु की अनुग्रह की दृष्‍टि मुझ पर हो।” एसाव ने कहा, “हे मेरे भाई, मेरे पास तो बहुत है; जो कुछ तेरा है वह तेरा ही रहे।” याक़ूब ने कहा, “नहीं नहीं, यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मेरी भेंट ग्रहण कर; क्योंकि मैं ने तेरा दर्शन पाकर, मानो परमेश्‍वर का दर्शन पाया है, और तू मुझ से प्रसन्न हुआ है। इसलिये यह भेंट जो तुझे भेजी गई है, ग्रहण कर; क्योंकि परमेश्‍वर ने मुझ पर अनुग्रह किया है, और मेरे पास बहुत है।” जब उसने उससे बहुत आग्रह किया, तब उसने भेंट को ग्रहण किया।

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