उत्पत्ति 29:16-35

उत्पत्ति 29:16-35 HINOVBSI

लाबान की दो बेटियाँ थीं, जिनमें से बड़ी का नाम लिआ: और छोटी का राहेल था। लिआ: के तो धुन्धली आँखें थीं, पर राहेल रूपवती और सुन्दर थी। इसलिये याक़ूब ने, जो राहेल से प्रीति रखता था, कहा, “मैं तेरी छोटी बेटी राहेल के लिये सात वर्ष तेरी सेवा करूँगा।” लाबान ने कहा, “उसे पराए पुरुष को देने से तुझ को देना उत्तम होगा; इसलिये मेरे पास रह।” अत: याक़ूब ने राहेल के लिये सात वर्ष सेवा की; और वे उसको राहेल की प्रीति के कारण थोड़े ही दिनों के बराबर जान पड़े। तब याक़ूब ने लाबान से कहा, “मेरी पत्नी मुझे दे, और मैं उसके पास जाऊँगा, क्योंकि मेरा समय पूरा हो गया है।” अत: लाबान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुलाकर इकट्ठा किया, और एक भोज दिया। साँझ के समय वह अपनी बेटी लिआ: को याक़ूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया। लाबान ने अपनी बेटी लिआ: को उसकी दासी होने के लिये अपनी दासी जिल्पा दी। भोर को मालूम हुआ कि यह तो लिआ: है, इसलिये उसने लाबान से कहा, “यह तू ने मेरे साथ क्या किया है? मैं ने तेरे साथ रहकर जो तेरी सेवा की, तो क्या राहेल के लिये नहीं की? फिर तू ने मुझ से क्यों ऐसा छल किया है?” लाबान ने कहा, “हमारे यहाँ ऐसी रीति नहीं कि बड़ी बेटी से पहले दूसरी का विवाह कर दें। इसका सप्‍ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रहकर और सात वर्ष तक करेगा।” याक़ूब ने ऐसा ही किया, और लिआ: के सप्‍ताह को पूरा किया; तब लाबान ने उसे अपनी बेटी राहेल भी दी कि वह उसकी पत्नी हो। लाबान ने अपनी बेटी राहेल की दासी होने के लिये अपनी दासी बिल्हा को दिया। तब याक़ूब राहेल के पास भी गया, और उसकी प्रीति लिआ: से अधिक उसी पर हुई; और उसने लाबान के साथ रहकर सात वर्ष और उसकी सेवा की। जब यहोवा ने देखा, कि लिआ: अप्रिय हुई, तब उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बाँझ रही। अत: लिआ: गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने यह कहकर उसका नाम रूबेन रखा, “यहोवा ने मेरे दु:ख पर दृष्‍टि की है, अब मेरा पति मुझ से प्रीति रखेगा।” फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; तब उसने यह कहा, “यह सुनके कि मैं अप्रिय हूँ, यहोवा ने मुझे यह भी पुत्र दिया।” इसलिये उसने उसका नाम शिमोन रखा। फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, “अब की बार तो मेरा पति मुझ से मिल जाएगा, क्योंकि उस से मेरे तीन पुत्र उत्पन्न हुए।” इसलिये उसका नाम लेवी रखा गया। और फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक और पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, “अब की बार तो मैं यहोवा का धन्यवाद करूँगी।” इसलिये उसने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसकी कोख बन्द हो गई।