उत्पत्ति 27:1-17

उत्पत्ति 27:1-17 HINOVBSI

जब इसहाक बूढ़ा हो गया, और उसकी आँखें ऐसी धुंधली पड़ गईं कि उसको सूझता न था, तब उसने अपने जेठे पुत्र एसाव को बुलाकर कहा, “हे मेरे पुत्र,” उसने कहा, “क्या आज्ञा।” उसने कहा, “सुन, मैं तो बूढ़ा हो गया हूँ, और नहीं जानता कि मेरी मृत्यु का दिन कब होगा : इसलिये अब तू अपना तरकश और धनुष आदि हथियार लेकर मैदान में जा, और मेरे लिये अहेर कर ले आ। तब मेरी रुचि के अनुसार स्वादिष्‍ट भोजन बनाकर मेरे पास ले आना, कि मैं उसे खाकर मरने से पहले तुझे जी भर के आशीर्वाद दूँ।” तब एसाव अहेर करने को मैदान में गया। जब इसहाक एसाव से यह बात कह रहा था, तब रिबका सुन रही थी। इसलिये उसने अपने पुत्र याक़ूब से कहा, “सुन, मैं ने तेरे पिता को तेरे भाई एसाव से यह कहते सुना है, ‘तू मेरे लिये अहेर करके उसका स्वादिष्‍ट भोजन बना, कि मैं उसे खाकर तुझे यहोवा के आगे मरने से पहले आशीर्वाद दूँ।’ इसलिये अब, हे मेरे पुत्र, मेरी सुन, और यह आज्ञा मान, कि बकरियों के पास जाकर बकरियों के दो अच्छे अच्छे बच्‍चे ले आ; और मैं तेरे पिता के लिये उसकी रुचि के अनुसार उनके मांस का स्वादिष्‍ट भोजन बनाऊँगी। तब तू उसको अपने पिता के पास ले जाना, कि वह उसे खाकर मरने से पहले तुझ को आशीर्वाद दे।” याक़ूब ने अपनी माता रिबका से कहा, “सुन, मेरा भाई एसाव तो रोंआर पुरुष है, और मैं रोमहीन पुरुष हूँ। कदाचित् मेरा पिता मुझे टटोलने लगे, तो मैं उसकी दृष्‍टि में ठग ठहरूँगा; और आशीष के बदले शाप ही कमाऊँगा।” उसकी माता ने उससे कहा, “हे मेरे पुत्र, शाप तुझ पर नहीं मुझी पर पड़े, तू केवल मेरी सुन, और जाकर वे बच्‍चे मेरे पास ले आ।” तब याक़ूब जाकर उनको अपनी माता के पास ले आया, और माता ने उसके पिता की रुचि के अनुसार स्वादिष्‍ट भोजन बना दिया। तब रिबका ने अपने पहलौठे पुत्र एसाव के सुन्दर वस्त्र, जो उसके पास घर में थे, लेकर अपने छोटे पुत्र याक़ूब को पहिना दिए; और बकरियों के बच्‍चों की खालों को उसके हाथों में और उसके चिकने गले में लपेट दिया; और वह स्वादिष्‍ट भोजन और अपनी बनाई हुई रोटी भी अपने पुत्र याक़ूब के हाथ में दे दी।