अब्राहम के पुत्र इसहाक की वंशावली यह है : अब्राहम से इसहाक उत्पन्न हुआ; और इसहाक ने चालीस वर्ष का होकर रिबका से, जो पद्दनराम के वासी, अरामी बतूएल की बेटी और अरामी लाबान की बहिन थी, विवाह कर लिया। इसहाक की पत्नी बाँझ थी, इसलिये उसने उसके निमित्त यहोवा से विनती की; और यहोवा ने उसकी विनती सुनी, इस प्रकार उसकी पत्नी रिबका गर्भवती हुई। लड़के उसके गर्भ में आपस में लिपटके एक दूसरे को मारने लगे। तब उसने कहा, “मेरी जो ऐसी ही दशा रहेगी तो मैं कैसे जीवित रहूँगी?” और वह यहोवा की इच्छा पूछने को गई। तब यहोवा ने उससे कहा, “तेरे गर्भ में दो जातियाँ हैं, और तेरी कोख से निकलते ही दो राज्य के लोग अलग अलग होंगे, और एक राज्य के लोग दूसरे से अधिक सामर्थी होंगे, और बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा।” जब उसके प्रसव का समय आया, तब क्या प्रगट हुआ कि उसके गर्भ में जुड़वे बालक हैं। पहला जो उत्पन्न हुआ वह लाल निकला, और उसका सारा शरीर कम्बल के समान रोममय था; इसलिये उसका नाम एसाव रखा गया। पीछे उसका भाई अपने हाथ से एसाव की एड़ी पकड़े हुए उत्पन्न हुआ; और उसका नाम याक़ूब रखा गया। जब रिबका ने उनको जन्म दिया तब इसहाक साठ वर्ष का था। फिर वे लड़के बढ़ने लगे, और एसाव तो वनवासी होकर चतुर शिकार खेलनेवाला हो गया, पर याक़ूब सीधा मनुष्य था और तम्बुओं में रहा करता था। इसहाक एसाव के अहेर का मांस खाया करता था, इसलिये वह उससे प्रीति रखता था; पर रिबका याक़ूब से प्रीति रखती थी। एक दिन याक़ूब भोजन के लिये कुछ दाल पका रहा था; और एसाव जंगल से थका हुआ आया। तब एसाव ने याक़ूब से कहा, “वह जो लाल वस्तु है, उसी लाल वस्तु में से मुझे कुछ खिला, क्योंकि मैं थका हूँ।” इसी कारण उसका नाम एदोम् भी पड़ा। याक़ूब ने कहा, “अपना पहिलौठे का अधिकार आज मेरे हाथ बेच दे।” एसाव ने कहा, “देख, मैं तो अभी मरने पर हूँ : इसलिये पहिलौठे के अधिकार से मेरा क्या लाभ होगा?” याक़ूब ने कहा, “मुझ से अभी शपथ खा,” अत: उसने उससे शपथ खाई, और अपना पहिलौठे का अधिकार याक़ूब के हाथ बेच डाला। इस पर याक़ूब ने एसाव को रोटी और पकाई हुई मसूर की दाल दी; और उसने खाया–पिया, और उठकर चला गया। यों एसाव ने अपना पहिलौठे का अधिकार तुच्छ जाना।
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