तब शालेम का राजा मलिकिसिदक, जो परमप्रधान ईश्वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया। और उसने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया, “परमप्रधान ईश्वर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो। और धन्य है परमप्रधान ईश्वर, जिसने तेरे द्रोहियों को तेरे वश में कर दिया है।” तब अब्राम ने उसको सब वस्तुओं का दशमांश दिया। तब सदोम के राजा ने अब्राम से कहा, “प्राणियों को तो मुझे दे, और धन को अपने पास रख।” अब्राम ने सदोम के राजा से कहा, “परमप्रधान ईश्वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, उसकी मैं यह शपथ खाता हूँ, कि जो कुछ तेरा है उसमें से न तो मैं एक सूत, और न जूती का बन्धन, न कोई और वस्तु लूँगा कि तू ऐसा न कहने पाए कि अब्राम मेरे ही कारण धनी हुआ। पर जो कुछ इन जवानों ने खा लिया है और उनका भाग, जो मेरे साथ गए थे अर्थात् आनेर, एश्कोल, और मम्रे, मैं नहीं लौटाऊँगा, वे तो अपना अपना भाग रख लें।”
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पुराने नियम में, परमेश्वर ने लोगों (संपर्क) को चुना, उनके साथ अनेकों तरीकों से बातचीत की।यह, नए नियम के प्रकाश में, वचन के गहरे दृष्टिकोण को प्रदान करता है। परमेश्वर के संपर्को के चार भाग हैं, जिसमे पहला भाग पुराने नियम के कुलपतियों का काल है – जिसमे प्रमुख लोगों के आधार अर्थात विश्वास की चर्चा की गयी है।
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