जो जो आज्ञा मैं तुझे दूँ वही तू कहना, और हारून उसे फ़िरौन से कहेगा, जिससे वह इस्राएलियों को अपने देश से निकल जाने दे। परन्तु मैं फ़िरौन के मन को कठोर कर दूँगा, और अपने बहुत से चिह्न और चमत्कार मिस्र देश में दिखलाऊँगा। तौभी फ़िरौन तुम्हारी न सुनेगा; और मैं मिस्र देश पर अपना हाथ बढ़ाकर मिस्रियों को भारी दण्ड देकर अपनी सेना अर्थात् अपनी इस्राएली प्रजा को मिस्र देश से निकाल लूँगा। और जब मैं मिस्र पर हाथ बढ़ाकर इस्राएलियों को उनके बीच से निकालूँगा, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।” तब मूसा और हारून ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार ही किया। जब मूसा और हारून फ़िरौन से बात करने लगे तब मूसा अस्सी वर्ष का, और हारून तिरासी वर्ष का था।
फिर यहोवा ने मूसा और हारून से इस प्रकार कहा, “जब फ़िरौन तुम से कहे, ‘अपने प्रमाण का कोई चमत्कार दिखाओ,’ तब तू हारून से कहना, ‘अपनी लाठी लेकर फ़िरौन के सामने डाल दे कि वह अजगर बन जाए’।” तब मूसा और हारून ने फ़िरौन के पास जाकर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया; और जब हारून ने अपनी लाठी फ़िरौन और उसके कर्मचारियों के सामने डाल दी, तब वह अजगर बन गई। तब फ़िरौन ने पण्डितों और टोनहा करनेवालों को बुलवाया; और मिस्र के जादूगरों ने आकर अपने–अपने तंत्र–मंत्र से वैसा ही किया। उन्होंने भी अपनी–अपनी लाठी को डाल दिया, और वे भी अजगर बन गईं। पर हारून की लाठी उनकी लाठियों को निगल गई। परन्तु फ़िरौन का मन और हठीला हो गया, और यहोवा के वचन के अनुसार उसने मूसा और हारून की बातों को नहीं माना।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, “फ़िरौन का मन कठोर हो गया है और वह इस प्रजा को जाने नहीं देता। इसलिये सबेरे के समय फ़िरौन के पास जा, वह तो जल की ओर बाहर आएगा; और जो लाठी सर्प बन गई थी, उसको हाथ में लिए हुए नील नदी के तट पर उससे भेंट करने के लिये खड़ा रहना। और उससे इस प्रकार कहना, ‘इब्रियों के परमेश्वर यहोवा ने मुझे यह कहने के लिये तेरे पास भेजा है कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, जिससे वे जंगल में मेरी उपासना करें; और अब तक तू ने मेरा कहना नहीं माना। यहोवा यों कहता है, इससे तू जान लेगा कि मैं ही परमेश्वर हूँ; देख, मैं अपने हाथ की लाठी को नील नदी के जल पर मारूँगा, और जल लहू बन जाएगा, और जो मछलियाँ नील नदी में हैं वे मर जाएँगी, और नील नदी बसाने लगेगी, और नदी का पानी पीने के लिये मिस्रियों का जी न चाहेगा’।” फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून से कह कि अपनी लाठी लेकर मिस्र देश में जितना जल है, अर्थात् उसकी नदियाँ, नहरें, झीलें, और पोखरे, सब के ऊपर अपना हाथ बढ़ा कि उनका जल लहू बन जाए; और सारे मिस्र देश में काठ और पत्थर दोनों भाँति के जलपात्रों में लहू ही लहू हो जाएगा।”
तब मूसा और हारून ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया, अर्थात् उसने लाठी को उठाकर फ़िरौन और उसके कर्मचारियों के देखते नील नदी के जल पर मारा, और नदी का सब जल लहू बन गया। और नील नदी में जो मछलियाँ थीं वे मर गईं; और नदी से दुर्गन्ध आने लगी, और मिस्री लोग नदी का पानी न पी सके; और सारे मिस्र देश में लहू हो गया। तब मिस्र के जादूगरों ने भी अपने तंत्र–मंत्रों से वैसा ही किया; तौभी फ़िरौन का मन हठीला हो गया, और यहोवा के कहने के अनुसार उसने मूसा और हारून की न मानी। फ़िरौन ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया, और मुँह फेर के अपने घर चला गया। और सब मिस्री लोग पीने के जल के लिये नील नदी के आस पास खोदने लगे, क्योंकि वे नदी का जल नहीं पी सकते थे।
जब यहोवा ने नील नदी को मारा था तब से सात दिन हो चुके थे।