जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे होकर कहने लगे, “अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि क्या हुआ?” हारून ने उनसे कहा, “तुम्हारी स्त्रियों और बेटे बेटियों के कानों में सोने की जो बालियाँ हैं उन्हें उतारो, और मेरे पास ले आओ।” तब सब लोगों ने उनके कानों से सोने की बालियों को उतारा, और हारून के पास ले आए। हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टाँकी से गढ़ा। तब लोग कहने लगे, “हे इस्राएल, तेरा ईश्वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है।” यह देख के हारून ने उसके आगे एक वेदी बनवाई; और यह प्रचार किया, “कल यहोवा के लिये पर्व होगा।” और दूसरे दिन लोगों ने भोर को उठकर होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि ले आए; फिर बैठकर खाया पिया, और उठकर खेलने लगे।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, “नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, वे बिगड़ गए हैं; और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उनको दी थी उसको झटपट छोड़कर उन्होंने एक बछड़ा ढालकर बना लिया, फिर उसको दण्डवत् किया, और उसके लिये बलिदान भी चढ़ाया, और यह कहा है, ‘हे इस्राएलियो, तुम्हारा ईश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा ले आया है वह यही है’।” फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं ने इन लोगों को देखा, और सुन, वे हठीले हैं। अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है जिससे मैं उन्हें भस्म करूँ; परन्तु तुझसे एक बड़ी जाति उपजाऊँगा।”
तब मूसा अपने परमेश्वर यहोवा को यह कहके मनाने लगा, “हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? मिस्री लोग यह क्यों कहने पाएँ, ‘वह उनको बुरे अभिप्राय से अर्थात् पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया?’ तू अपने भड़के हुए कोप को शांत कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुँचाने से फिर जा। अपने दास अब्राहम, इसहाक, और याक़ूब को स्मरण कर जिनसे तू ने अपनी ही शपथ खाकर यह कहा था, ‘मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूँगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूँगा कि वे उसके अधिकारी सदैव बने रहें’।” तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उसने कहा था पछताया।
तब मूसा मुड़कर साक्षी की दोनों तख़्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया। उन तख़्तियों के इधर और उधर दोनों ओर लिखा हुआ था, और वे तख़्तियाँ परमेश्वर की बनाई हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था।
जब यहोशू को लोगों के कोलाहल का शब्द सुनाई पड़ा, तब उसने मूसा से कहा, “छावनी से लड़ाई का सा शब्द सुनाई देता है।” उसने कहा, “यह जो शब्द है वह न तो जीतनेवालों का है, और न हारनेवालों का है; मुझे तो गाने का शब्द सुनाई पड़ता है।” छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना दिखाई पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख़्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग में डाल के फूँक दिया। और पीसकर चूर चूरकर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्राएलियों को उसे पिलवा दिया।
तब मूसा हारून से कहने लगा, “इन लोगों ने तेरे साथ क्या किया कि तू ने उनको इतने बड़े पाप में फँसाया?” हारून ने उत्तर दिया, “मेरे प्रभु का कोप न भड़के; तू तो इन लोगों को जानता ही है कि ये बुराई में मन लगाए रहते हैं। और उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे लिये देवता बनवा जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, हम नहीं जानते कि क्या हुआ?’ तब मैं ने उनसे कहा, ‘जिस जिसके पास सोने के गहने हों, वे उनको उतार लाएँ;’ और जब उन्होंने मुझ को वह दिया, मैं ने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा।”
हारून ने उन लोगों को ऐसा निरंकुश कर दिया था कि वे अपने विरोधियों के बीच उपहास के योग्य हो गए।