किसी विधवा या अनाथ बालक को दु:ख न देना। यदि तुम ऐसों को किसी प्रकार का दु:ख दो और वे मेरी दोहाई दें, तो मैं निश्चय उनकी दोहाई सुनूँगा; तब मेरा क्रोध भड़केगा, और मैं तुम को तलवार से मरवाऊँगा, और तुम्हारी पत्नियाँ विधवा और तुम्हारे बालक अनाथ हो जाएँगे। “यदि तू मेरी प्रजा में से किसी दीन को जो तेरे पास रहता हो रुपए का ऋण दे तो उससे महाजन के समान ब्याज न लेना। यदि तू कभी अपने भाई बन्धु के वस्त्र को बन्धक करके रख भी ले, तो सूर्य के अस्त होने तक उसको लौटा देना; क्योंकि वह उसका एक ही ओढ़ना है, उसकी देह का वही अकेला वस्त्र होगा; फिर वह किसे ओढ़कर सोएगा? और जब वह मेरी दोहाई देगा तब मैं उसकी सुनूँगा, क्योंकि मैं करुणामय हूँ।
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