सब लोग गर्जन और बिजली और नरसिंगे के शब्द सुनते, और धूआँ उठते हुए पर्वत को देखते रहे, और देख के, काँपकर दूर खड़े हो गए; और वे मूसा से कहने लगे, “तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएँ।” मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत; क्योंकि परमेश्वर इसलिये आया है कि तुम्हारी परीक्षा करे, और उसका भय तुम्हारे मन में बना रहे कि तुम पाप न करो।” और वे लोग दूर ही खड़े रहे परन्तु मूसा उस घोर अन्धकार के समीप गया जहाँ परमेश्वर था। तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तू इस्राएलियों को मेरे ये वचन सुना : तुम लोगों ने आप ही देखा है कि मैं ने तुम्हारे साथ आकाश से बातें की हैं। तुम मेरे साथ किसी को सम्मिलित न करना, अर्थात् अपने लिये चाँदी या सोने से देवताओं को न गढ़ लेना। मेरे लिये मिट्टी की एक वेदी बनाना, और अपनी भेड़–बकरियों और गाय–बैलों के होमबलि और मेलबलि को उस पर चढ़ाना; जहाँ जहाँ मैं अपने नाम का स्मरण कराऊँ वहाँ वहाँ मैं आकर तुम्हें आशीष दूँगा। और यदि तुम मेरे लिये पत्थरों की वेदी बनाओ, तो तराशे हुए पत्थरों से न बनाना; क्योंकि जहाँ तुम ने उस पर अपना हथियार लगाया वहाँ तुम उसे अशुद्ध कर दोगे। और मेरी वेदी पर सीढ़ी से कभी न चढ़ना, कहीं ऐसा न हो कि तेरा तन उस पर नंगा देख पड़े।
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