वे भोर को प्रतिदिन अपनी आवश्यकता के अनुसार खाने के लिये बटोर लेते थे, और जब धूप कड़ी होती थी, तब वह गल जाता था। फिर ऐसा हुआ कि छठवें दिन उन्होंने दूना, अर्थात् प्रति मनुष्य के पीछे दो दो ओमेर बटोर लिया, और मण्डली के सब प्रधानों ने आकर मूसा को बता दिया। उसने उनसे कहा, “यह वही बात है जो यहोवा ने कही, क्योंकि कल परमविश्राम, अर्थात् यहोवा के लिये पवित्र विश्राम होगा, इसलिये तुम्हें जो तन्दूर में पकाना हो उसे पकाओ, और जो सिझाना हो उसे सिझाओ, और इसमें से जितना बचे उसे सबेरे के लिये रख छोड़ो। जब उन्होंने उसको मूसा की इस आज्ञा के अनुसार सबेरे तक रख छोड़ा, तब न तो वह बसाया, और न उसमें कीड़े पड़े। तब मूसा ने कहा, “आज उसी को खाओ, क्योंकि आज यहोवा का विश्रामदिन है; इसलिये आज तुम को वह मैदान में न मिलेगा। छ: दिन तो तुम उसे बटोरा करोगे; परन्तु सातवाँ दिन विश्राम का दिन है, उसमें वह न मिलेगा।” तौभी लोगों में से कोई कोई सातवें दिन भी बटोरने के लिये बाहर गए, परन्तु उनको कुछ न मिला। तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम लोग मेरी आज्ञाओं और व्यवस्था को कब तक नहीं मानोगे? देखो, यहोवा ने जो तुम को विश्राम का दिन दिया है, इसी कारण वह छठवें दिन को दो दिन का भोजन तुम्हें देता है; इसलिये तुम अपने अपने यहाँ बैठे रहना, सातवें दिन कोई अपने स्थान से बाहर न जाना।” अत: लोगों ने सातवें दिन विश्राम किया।
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