जब मिस्र के राजा को यह समाचार मिला कि वे लोग भाग गए, तब फ़िरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और वे कहने लगे, “हम ने यह क्या किया कि इस्राएलियों को अपनी दासता से छुटकारा देकर जाने दिया?” तब उसने अपना रथ जुतवाया और अपनी सेना को संग लिया। उसने छ: सौ अच्छे से अच्छे रथ वरन् मिस्र के सब रथ लिए और उन सभों पर सरदार बैठाए। और यहोवा ने मिस्र के राजा फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया। इसलिये उसने इस्राएलियों का पीछा किया; परन्तु इस्राएली बेखटके निकले चले जाते थे। पर फ़िरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना उनका पीछा करके उनके पास, जो पीहाहीरोत के पास, बालसपोन के सामने, समुद्र के तट पर डेरे डाले पड़े थे, जा पहुँची। जब फ़िरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आँखें उठाकर क्या देखा कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी; और वे मूसा से कहने लगे, “क्या मिस्र में कब्रें न थीं जो तू हम को वहाँ से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया कि हम को मिस्र से निकाल लाया? क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने की अपेक्षा मिस्रियों की सेवा करना अच्छा था।” मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उनको फिर कभी न देखोगे।
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