शिप्रा और पूआ नामक दो इब्री धाइयों को मिस्र के राजा ने आज्ञा दी, “जब तुम इब्री स्त्रियों को बच्चा उत्पन्न होने के समय प्रसव के पत्थरों पर बैठी देखो, तब यदि बेटा हो तो उसे मार डालना, और बेटी हो तो जीवित रहने देना।” परन्तु वे धाइयाँ परमेश्वर का भय मानती थीं, इसलिये मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं। तब मिस्र के राजा ने उनको बुलवाकर पूछा, “तुम जो लड़कों को जीवित छोड़ देती हो, तो ऐसा क्यों करती हो?” धाइयों ने फ़िरौन को उत्तर दिया, “इब्री स्त्रियाँ मिस्री स्त्रियों के समान नहीं हैं; वे ऐसी फुर्तीली हैं कि धाइयों के पहुँचने से पहले ही उनको बच्चा उत्पन्न हो जाता है।” इसलिये परमेश्वर ने धाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए। इसलिये कि धाइयाँ परमेश्वर का भय मानती थीं, उसने उनके घर बसाए।
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