शूशन गढ़ में मोर्दकै नामक एक यहूदी रहता था, जो कीश नाम के एक बिन्यामीनी का परपोता, शिमी का पोता, और याईर का पुत्र था। वह उन बन्दियों के साथ यरूशलेम से बँधुआई में गया था, जिन्हें बेबीलोन का राजा नबूकदनेस्सर, यहूदा के राजा यकोन्याह के संग बन्दी बना करके ले गया था। उसने हदस्सा नामक अपनी चचेरी बहिन को, जो एस्तेर भी कहलाती थी, पाला–पोसा था; क्योंकि उसके माता–पिता कोई न थे, और वह लड़की सुन्दर और रूपवती थी, और जब उसके माता–पिता मर गए, तब मोर्दकै ने उसको अपनी बेटी करके पाला। जब राजा की आज्ञा और नियम सुनाए गए, और बहुत सी युवतियाँ, शूशन गढ़ में हेगे के अधिकार में इकट्ठी की गईं, तब एस्तेर भी राजभवन में स्त्रियों के प्रबन्धक हेगे के अधिकार में सौंपी गई। वह युवती उसकी दृष्टि में अच्छी लगी; और वह उससे प्रसन्न हुआ, तब उसने बिना विलम्ब उसे राजभवन में से शुद्ध करने की वस्तुएँ, और उसका भोजन, और उसके लिये चुनी हुई सात सहेलियाँ भी दीं, और उसको और उसकी सहेलियों को रनवास में सबसे अच्छा रहने का स्थान दिया। एस्तेर ने न अपनी जाति बताई थी, न अपना कुल, क्योंकि मोर्दकै ने उसको आज्ञा दी थी कि उसे न बताना। मोर्दकै प्रतिदिन रनवास के आँगन के सामने टहलता था ताकि जाने की एस्तेर कैसी है और उसके साथ क्या होगा?
जब एक एक कन्या की बारी आई, कि वह क्षयर्ष राजा के पास जाए—और यह उस समय हुआ जब उसके साथ स्त्रियों के लिये ठहराए हुए नियम के अनुसार बारह माह तक व्यवहार किया गया था; अर्थात् उनके शुद्ध करने के दिन इस रीति से बीत गए, कि छ: माह तक गन्धरस का तेल लगाया जाता था, और छ: माह तक सुगन्धद्रव्य, और स्त्रियों के शुद्ध करने का अन्य सामान लगाया जाता था— इस प्रकार से वह कन्या जब राजा के पास जाती थी, तब जो कुछ वह चाहती कि रनवास से राजभवन में ले जाए, वह उसको दिया जाता था। साँझ को तो वह जाती थी और सबेरे को वह लौटकर रनवास के दूसरे घर में जाकर रखेलियों के प्रबन्धक राजा के खोजे शाशगज के अधिकार में हो जाती थी, और राजा के पास फिर नहीं जाती थी। यदि राजा उससे प्रसन्न हो जाता था, तब वह नाम लेकर बुलाई जाती थी।
जब मोर्दकै के चाचा अबीहैल की बेटी एस्तेर, जिसको मोर्दकै ने बेटी मानकर रखा था, उसकी बारी आई कि राजा के पास जाए, तब जो कुछ स्त्रियों के प्रबन्धक राजा के खोजे हेगे ने उसके लिये ठहराया था, उससे अधिक उसने और कुछ न माँगा। जितनों ने एस्तेर को देखा, वे सब उससे प्रसन्न हुए।