इफिसियों 5:17-33

इफिसियों 5:17-33 HINOVBSI

इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो कि प्रभु की इच्छा क्या है। दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने–अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो। और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्‍वर पिता का धन्यवाद करते रहो। मसीह के भय से एक दूसरे के अधीन रहो। हे पत्नियो, अपने अपने पति के ऐसे अधीन रहो जैसे प्रभु के। क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है और स्वयं ही देह का उद्धारकर्ता है। पर जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने अपने पति के अधीन रहें। हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया कि उसको वचन के द्वारा जल के स्‍नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए, और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई और ऐसी वस्तु हो वरन् पवित्र और निर्दोष हो। इसी प्रकार उचित है कि पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे। जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है। क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन् उसका पालन–पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है। इसलिये कि हम उसकी देह के अंग हैं। “इस कारण मनुष्य अपने माता–पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।” यह भेद तो बड़ा है, पर मैं यहाँ मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूँ। पर तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति का भय माने।