इफिसियों 5:1-21

इफिसियों 5:1-21 HINOVBSI

इसलिये प्रिय बालकों के समान परमेश्‍वर का अनुकरण करो, और प्रेम में चलो जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया, और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये परमेश्‍वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार और किसी प्रकार के अशुद्ध काम या लोभ की चर्चा तक न हो; और न निर्लज्जता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की; क्योंकि ये बातें शोभा नहीं देतीं, वरन् धन्यवाद ही सुना जाए। क्योंकि तुम यह जानते हो कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूर्तिपूजक के बराबर है, मसीह और परमेश्‍वर के राज्य में मीरास नहीं। कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे, क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्‍वर का क्रोध आज्ञा न माननेवालों पर भड़कता है। इसलिये तुम उनके सहभागी न हो। क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, अत: ज्योति की सन्तान के समान चलो (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है), और यह परखो कि प्रभु को क्या भाता है। अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन् उन पर उलाहना दो। क्योंकि उनके गुप्‍त कामों की चर्चा भी लज्जा की बात है। पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है वह ज्योति है। इस कारण वह कहता है, “हे सोनेवाले, जाग और मुर्दों में से जी उठ; तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी।” इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो : निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो। अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो कि प्रभु की इच्छा क्या है। दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने–अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो। और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्‍वर पिता का धन्यवाद करते रहो। मसीह के भय से एक दूसरे के अधीन रहो।

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