उसने कुछ को प्रेरित नियुक्त करके, और कुछ को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कुछ को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्त करके, और कुछ को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया, जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए, जब तक कि हम सब के सब विश्वास और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएँ, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएँ और मसीह के पूरे डील–डौल तक न बढ़ जाएँ। ताकि हम आगे को बालक न रहें जो मनुष्यों की ठग–विद्या और चतुराई से, उन के भ्रम की युक्तियों के और उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर–उधर घुमाए जाते हों। वरन् प्रेम में सच्चाई से चलते हुए सब बातों में उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह में बढ़ते जाएँ, जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक–ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए। इसलिये मैं यह कहता हूँ और प्रभु में आग्रह करता हूँ कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो। क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है, और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं; और वे सुन्न होकर लुचपन में लग गए हैं कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें। पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। वरन् तुम ने सचमुच उसी की सुनी और, जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए कि तुम पिछले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ, और नये मनुष्यत्व को पहिन लो जो परमेश्वर के अनुरूप सत्य की धार्मिकता और पवित्रता में सृजा गया है।
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