सभोपदेशक 4:1-8

सभोपदेशक 4:1-8 HINOVBSI

तब मैं ने वह सब अन्धेर देखा जो संसार में होता है। और क्या देखा, कि अन्धेर सहनेवालों के आँसू बह रहे हैं, और उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं! अन्धेर करनेवालों के हाथ में शक्‍ति थी, परन्तु उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं था। इसलिये मैं ने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवतों से जो अब तक जीवित हैं अधिक सराहा; वरन् उन दोनों से अधिक अच्छा वह है जो अब तक हुआ ही नहीं, न ये बुरे काम देखे जो संसार में* होते हैं। तब मैं ने सब परिश्रम के काम और सब सफल कामों को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है। मूर्ख छाती पर हाथ रखे रहता, और अपना मांस खाता है। चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो। फिर मैं ने धरती पर* यह भी व्यर्थ बात देखी। कोई अकेला रहता है और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आँखें धन से सन्तुष्‍ट होती हैं; और न वह कहता है, मैं किसके लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।