व्यवस्थाविवरण 6:1-12

व्यवस्थाविवरण 6:1-12 HINOVBSI

“यह वह आज्ञा, और वे विधियाँ और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिकारी होने को पार जाने पर हो; और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूँ, अपने जीवन भर चलते रहें, जिससे तू बहुत दिन तक बना रहे। हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्‍वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहाँ दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं तुम बहुत हो जाओ। “हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्‍वर है, यहोवा एक ही है; तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना। और ये आज्ञाएँ जो मैं आज तुझ को सुनाता हूँ वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बाल–बच्‍चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। और इन्हें अपने हाथ पर चिह्न के रूप में बाँधना, और ये तेरी आँखों के बीच टीके का काम दें। और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना। “जब तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे उस देश में पहुँचाए जिसके विषय में उसने अब्राहम, इसहाक, और याक़ूब नामक तेरे पूर्वजों से तुझे देने की शपथ खाई, और जब वह तुझ को बड़े बड़े और अच्छे नगर, जो तू ने नहीं बनाए, और अच्छे अच्छे पदार्थों से भरे हुए घर जो तू ने नहीं भरे, और खुदे हुए कुएँ, जो तू ने नहीं खोदे, और दाख की बारियाँ और जैतून के वृक्ष, जो तू ने नहीं लगाए, ये सब वस्तुएँ जब वह दे, और तू खाके तृप्‍त हो, तब सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि तू यहोवा को भूल जाए, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल लाया है।