व्यवस्थाविवरण 33:18-29

व्यवस्थाविवरण 33:18-29 HINOVBSI

फिर जबूलून के विषय में उसने कहा, “हे जबूलून, तू बाहर निकलते समय, और हे इस्साकार, तू अपने डेरों में आनन्द करे। वे देश देश के लोगों को पहाड़ पर बुलाएँगे; वे वहाँ धर्मयज्ञ करेंगे; क्योंकि वे समुद्र का धन, और बालू में छिपे हुए अनमोल पदार्थ से लाभ उठाएँगे।” फिर गाद के विषय में उसने कहा, “धन्य वह है जो गाद को बढ़ाता है! गाद तो सिंहनी के समान रहता है, और बाँह को, वरन् सिर के चाँद तक को फाड़ डालता है। और उसने पहला अंश तो अपने लिये चुन लिया, क्योंकि वहाँ रईस के योग्य भाग रखा हुआ था; तब उसने प्रजा के मुख्य मुख्य पुरुषों के संग आकर यहोवा का ठहराया हुआ धर्म, और इस्राएल के साथ होकर उसके नियम का प्रतिपालन किया।” फिर दान के विषय में उसने कहा, “दान तो बाशान से कूदनेवाला सिंह का बच्‍चा है।” फिर नप्‍ताली के विषय में उसने कहा, “हे नप्‍ताली, तू जो यहोवा की प्रसन्नता से तृप्‍त, और उसकी आशीष से भरपूर है, तू पश्‍चिम और दक्षिण के देश का अधिकारी हो।” फिर आशेर के विषय में उसने कहा, “आशेर पुत्रों के विषय में आशीष पाए; वह अपने भाइयों में प्रिय रहे, और अपना पाँव तेल में डुबोए। तेरे जूते लोहे और पीतल के होंगे, और जैसे तेरे दिन वैसी ही तेरी शक्‍ति हो। “हे यशूरून, ईश्‍वर के तुल्य और कोई नहीं है, वह तेरी सहायता करने को आकाश पर, और अपना प्रताप दिखाता हुआ आकाशमण्डल पर सवार होकर चलता है। अनादि परमेश्‍वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएँ हैं। वह शत्रुओं को तेरे सामने से निकाल देता, और कहता है, उनको सत्यानाश कर दे। और इस्राएल निडर बसा रहता है, अन्न और नये दाखमधु के देश में याक़ूब का सोता अकेला ही रहता है; और उसके ऊपर के आकाश से ओस पड़ा करती है। हे इस्राएल, तू क्या ही धन्य है! हे यहोवा से उद्धार पाई हुई प्रजा, तेरे तुल्य कौन है? वह तो तेरी सहायता के लिये ढाल, और तेरे प्रताप के लिये तलवार है; तेरे शत्रु तुझे सराहेंगे, और तू उनके ऊँचे स्थानों को रौंदेगा।”