प्रेरितों 8:5-25

प्रेरितों 8:5-25 HINOVBSI

और फिलिप्पुस सामरिया नगर में जाकर लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा। जो बातें फिलिप्पुस ने कहीं उन्हें लोगों ने सुनकर और जो चिह्न वह दिखाता था उन्हें देख देखकर, एक चित्त होकर मन लगाया। क्योंकि बहुतों में से अशुद्ध आत्माएँ बड़े शब्द से चिल्‍लाती हुई निकल गईं, और बहुत से लकवे के रोगी और लंगड़े भी अच्छे किए गए; और उस नगर में बड़ा आनन्द छा गया। इससे पहले उस नगर में शमौन नामक एक मनुष्य था, जो जादू–टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आप को एक बड़ा पुरुष बताता था। छोटे से बड़े तक सब उसका सम्मान कर कहते थे, “यह मनुष्य परमेश्‍वर की वह शक्‍ति है, जो महान् कहलाती है।” उसने बहुत दिनों से उन्हें अपने जादू के कामों से चकित कर रखा था, इसी लिये वे उसको बहुत मानते थे। परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस का विश्‍वास किया जो परमेश्‍वर के राज्य और यीशु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरुष, क्या स्त्री, बपतिस्मा लेने लगे। तब शमौन ने स्वयं भी विश्‍वास किया और बपतिस्मा लेकर फिलिप्पुस के साथ रहने लगा। वह चिह्न और बड़े–बड़े सामर्थ्य के काम होते देखकर चकित होता था। जब प्रेरितों ने जो यरूशलेम में थे, सुना कि सामरियों ने परमेश्‍वर का वचन मान लिया है तो पतरस और यूहन्ना को उनके पास भेजा। उन्होंने जाकर उनके लिये प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा पाएँ। क्योंकि वह अब तक उनमें से किसी पर न उतरा था; उन्होंने तो केवल प्रभु यीशु के नाम में बपतिस्मा लिया था। तब उन्होंने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया। जब शमौन ने देखा कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है, तो उनके पास रुपये लाकर कहा, “यह अधिकार मुझे भी दो, कि जिस किसी पर हाथ रखूँ वह पवित्र आत्मा पाए।” पतरस ने उससे कहा, “तेरे रुपये तेरे साथ नष्‍ट हों, क्योंकि तू ने परमेश्‍वर का दान रुपयों से मोल लेने का विचार किया। इस बात में न तेरा हिस्सा है, न भाग; क्योंकि तेरा मन परमेश्‍वर के आगे सीधा नहीं। इसलिये अपनी इस बुराई से मन फिराकर प्रभु से प्रार्थना कर, सम्भव है तेरे मन का विचार क्षमा किया जाए। क्योंकि मैं देखता हूँ कि तू पित्त की सी कड़वाहट और अधर्म के बन्धन में पड़ा है।” शमौन ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिये प्रभु से प्रार्थना करो कि जो बातें तुम ने कहीं, उनमें से कोई मुझ पर न आ पड़े।” अत: वे गवाही देकर और प्रभु का वचन सुनाकर यरूशलेम को लौट गए, और सामरियों के बहुत से गाँवों में सुसमाचार सुनाते गए।