मूसा को मिस्रियों की सारी विद्या पढ़ाई गई, और वह वचन और कर्म दोनों में सामर्थी था।
“जब वह चालीस वर्ष का हुआ, तो उसके मन में आया कि मैं अपने इस्राएली भाइयों से भेंट करूँ। उसने एक व्यक्ति पर अन्याय होते देखकर उसे बचाया, और मिस्री को मारकर सताए हुए का पलटा लिया। उसने सोचा कि उसके भाई समझेंगे कि परमेश्वर उसके हाथों से उनका उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा। दूसरे दिन जब वे आपस में लड़ रहे थे, तो वह वहाँ आ निकला; और यह कहके उन्हें मेल करने के लिये समझाया, ‘हे पुरुषो, तुम तो भाई–भाई हो, एक दूसरे पर क्यों अन्याय करते हो?’ परन्तु जो अपने पड़ोसी पर अन्याय कर रहा था, उसने उसे यह कहकर हटा दिया, ‘तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है? क्या जिस रीति से तू ने कल मिस्री को मार डाला मुझे भी मार डालना चाहता है?’ यह बात सुनकर मूसा भागा और मिद्यान देश में परदेशी होकर रहने लगा, और वहाँ उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए।
“जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए, तो एक स्वर्गदूत ने सीनै पहाड़ के जंगल में उसे जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में दर्शन दिया। मूसा को यह दर्शन देखकर आश्चर्य हुआ, और जब देखने के लिये वह पास गया, तो प्रभु का यह शब्द हुआ, ‘मैं तेरे बापदादों, अब्राहम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर हूँ,’ तब तो मूसा काँप उठा, यहाँ तक कि उसे देखने का हियाव न रहा। तब प्रभु ने उससे कहा, ‘अपने पाँवों से जूती उतार ले, क्योंकि जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है। मैं ने सचमुच अपने लोगों की जो मिस्र में हैं, दुर्दशा को देखा है; और उनकी आह और उनका रोना सुना है; इसलिये उन्हें छुड़ाने के लिये उतरा हूँ। अब आ, मैं तुझे मिस्र में भेजूँगा।’
“जिस मूसा को उन्होंने यह कहकर नकारा था, ‘तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है?’ उसी को परमेश्वर ने हाकिम और छुड़ानेवाला ठहराकर, उस स्वर्गदूत के द्वारा जिसने उसे झाड़ी में दर्शन दिया था, भेजा। यही व्यक्ति मिस्र और लाल समुद्र और जंगल में चालीस वर्ष तक अद्भुत काम और चिह्न दिखा दिखाकर उन्हें निकाल लाया। यह वही मूसा है, जिसने इस्राएलियों से कहा, ‘परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मुझ सा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा।’ यह वही है, जिसने जंगल में कलीसिया के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उससे बातें कीं और हमारे बापदादों के साथ था, उसी को जीवित वचन मिले कि हम तक पहुँचाए। परन्तु हमारे बापदादों ने उसकी मानना न चाहा, वरन् उसे हटाकर अपने मन मिस्र की ओर फेरे, और हारून से कहा, ‘हमारे लिये ऐसे देवता बना, जो हमारे आगे–आगे चलें, क्योंकि यह मूसा जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया, हम नहीं जानते उसे क्या हुआ?’ उन दिनों में उन्होंने एक बछड़ा बनाकर उसकी मूरत के आगे बलि चढ़ाई, और अपने हाथों के कामों में मगन होने लगे। अत: परमेश्वर ने मुँह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया, कि आकाशगण को पूजें, जैसा भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में लिखा है,
‘हे इस्राएल के घराने, क्या तुम जंगल में
चालीस वर्ष तक
पशुबलि और अन्नबलि
मुझ ही को चढ़ाते रहे?
तुम मोलेक के तम्बू और रिफान देवता
के तारे को लिए फिरते थे,
अर्थात् उन मूर्तियों को जिन्हें तुम ने
दण्डवत् करने के लिये बनाया था।
अत: मैं तुम्हें बेबीलोन के परे ले जाकर
बसाऊँगा।’