प्रेरितों 25:22-27

प्रेरितों 25:22-27 HINOVBSI

तब अग्रिप्पा ने फेस्तुस से कहा, “मैं भी उस मनुष्य की सुनना चाहता हूँ।” उसने कहा, “तू कल सुन लेगा।” अत: दूसरे दिन जब अग्रिप्पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आए और पलटन के सरदारों और नगर के प्रमुख लोगों के साथ दरबार में पहुँचे। तब फेस्तुस ने आज्ञा दी कि वे पौलुस को ले आएँ। फेस्तुस ने कहा, “हे राजा अग्रिप्पा, और हे सब मनुष्यो जो यहाँ हमारे साथ हो, तुम इस मनुष्य को देखते हो, जिसके विषय में सब यहूदियों ने यरूशलेम में और यहाँ भी चिल्‍ला–चिल्‍लाकर मुझ से विनती की कि इसका जीवित रहना उचित नहीं। परन्तु मैं ने जान लिया कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया कि मार डाला जाए; और जबकि उसने आप ही महाराजाधिराज की दोहाई दी, तो मैं ने उसे भेजने का निर्णय किया। मैं ने उसके विषय में कोई निश्‍चित बात नहीं पाई कि अपने स्वामी के पास लिखूँ। इसलिये मैं उसे तुम्हारे सामने और विशेष करके हे राजा अग्रिप्पा, तेरे सामने लाया हूँ कि जाँचने के बाद मुझे कुछ लिखने को मिले। क्योंकि बन्दी को भेजना और जो दोष उस पर लगाए गए, उन्हें न बताना, मुझे व्यर्थ जान पड़ता है।”