पौलुस के भांजे ने सुना कि वे उसकी घात में हैं, तो गढ़ में जाकर पौलुस को सन्देश दिया। पौलुस ने सूबेदारों में से एक को अपने पास बुलाकर कहा, “इस जवान को पलटन के सरदार के पास ले जाओ, यह उससे कुछ कहना चाहता है।” इसलिये उसने उसको पलटन के सरदार के पास ले जाकर कहा, “बन्दी पौलुस ने मुझे बुलाकर विनती की कि यह जवान पलटन के सरदार से कुछ कहना चाहता है; इसे उसके पास ले जा।” पलटन के सरदार ने उसका हाथ पकड़कर और अलग ले जाकर पूछा, “तू मुझ से क्या कहना चाहता है?” उसने कहा, “यहूदियों ने षड्यन्त्र रचा है कि तुझ से विनती करें कि कल पौलुस को महासभा में लाए, मानो वे और ठीक से उसकी जाँच करना चाहते हैं। परन्तु उनकी मत मानना, क्योंकि उनमें से चालीस के ऊपर मनुष्य उसकी घात में हैं, जिन्होंने यह ठान लिया है कि जब तक वे पौलुस को मार न डालें, तब तक न खाएँगे और न पीएँगे। और अब वे तैयार हैं और तेरे वचन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।” तब पलटन के सरदार ने जवान को यह आज्ञा देकर विदा किया, “किसी से न कहना कि तू ने मुझ को ये बातें बताई हैं।” तब उसने दो सूबेदारों को बुलाकर कहा, “दो सौ सैनिक, सत्तर सवार, और दो सौ भालैत, पहर रात बीते कैसरिया को जाने के लिये तैयार कर रखो। और पौलुस की सवारी के लिये घोड़े तैयार रखो, कि उसे फेलिक्स हाकिम के पास कुशल से पहुँचा दें।” उसने इस प्रकार की चिट्ठी भी लिखी : “महामहिम् फेलिक्स हाकिम को क्लौदियुस लूसियास का नमस्कार। इस मनुष्य को यहूदियों ने पकड़कर मार डालना चाहा, परन्तु जब मैं ने जाना कि रोमी है, तो पलटन लेकर छुड़ा लाया। मैं जानना चाहता था कि वे उस पर किस कारण दोष लगाते हैं, इसलिये उसे उनकी महासभा में ले गया। तब मैं ने जान लिया कि वे अपनी व्यवस्था के विवादों के विषय में उस पर दोष लगाते हैं, परन्तु मार डाले जाने या बाँधे जाने के योग्य उसमें कोई दोष नहीं। जब मुझे बताया गया कि वे इस मनुष्य की घात में लगे हैं तो मैं ने तुरन्त उसको तेरे पास भेज दिया; और मुद्दइयों को भी आज्ञा दी कि तेरे सामने उस पर नालिश करें।” अत: जैसी सैनिकों को आज्ञा दी गई थी, वैसे ही वे पौलुस को लेकर रातों–रात अन्तिपत्रिस में आए। दूसरे दिन वे सवारों को उसके साथ जाने के लिये छोड़कर आप गढ़ को लौटे। उन्होंने कैसरिया पहुँचकर हाकिम को चिट्ठी दी; और पौलुस को भी उसके सामने खड़ा किया। उसने चिट्ठी पढ़कर पूछा, “यह किस प्रान्त का है?” और जब जान लिया कि किलिकिया का है तो उससे कहा, “जब तेरे मुद्दई भी आएँगे, तो मैं तेरा मुक़द्दमा करूँगा।” और उसने उसे हेरोदेस के किले में पहरे में रखने की आज्ञा दी।
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