जब वे सात दिन पूरे होने पर थे, तो आसिया के यहूदियों ने पौलुस को मन्दिर में देखकर सब लोगों को उकसाया, और यों चिल्लाकर उसको पकड़ लिया, “हे इस्राएलियो, सहायता करो; यह वही मनुष्य है, जो लोगों के, और व्यवस्था के, और इस स्थान के विरोध में हर जगह सब लोगों को सिखाता है, यहाँ तक कि यूनानियों को भी मन्दिर में लाकर उस ने इस पवित्रस्थान को अपवित्र किया है।” उन्होंने इससे पहले इफिसुसवासी त्रुफिमुस को उसके साथ नगर में देखा था, और समझे थे कि पौलुस उसे मन्दिर में ले आया है। तब सारे नगर में कोलाहल मच गया, और लोग दौड़कर इकट्ठे हुए और पौलुस को पकड़कर मन्दिर के बाहर घसीट लाए, और तुरन्त द्वार बन्द किए गए। जब वे उसे मार डालना चाहते थे, तो पलटन के सरदार को सन्देश पहुँचा कि सारे यरूशलेम में कोलाहल मच रहा है। तब वह तुरन्त सैनिकों और सूबेदारों को लेकर उनके पास नीचे दौड़ आया; और उन्होंने पलटन के सरदार को और सैनिकों को देख कर पौलुस को मारना–पीटना छोड़ दिया।
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