प्रेरितों 17:26-31

प्रेरितों 17:26-31 HINOVBSI

उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियाँ सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उनके ठहराए हुए समय और निवास की सीमाओं को इसलिये बाँधा है, कि वे परमेश्‍वर को ढूँढ़ें, कदाचित उसे टटोलकर पाएँ, तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं। क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते–फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसा तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, ‘हम तो उसी के वंशज हैं।’ अत: परमेश्‍वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं कि ईश्‍वरत्व सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। इसलिये परमेश्‍वर ने अज्ञानता के समयों पर ध्यान नहीं दिया, पर अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा धार्मिकता से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है, और उसे मरे हुओं में से जिलाकर यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है।”