बड़े घर में न केवल सोने–चाँदी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई–कोई आदर, और कोई–कोई अनादर के लिये। यदि कोई अपने आप को इनसे शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। जवानी की अभिलाषाओं से भाग, और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं उनके साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेलमिलाप का पीछा कर। पर मूर्खता और अविद्या के विवादों से अलग रह, क्योंकि तू जानता है कि इनसे झगड़े उत्पन्न होते हैं। प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना चाहिए, पर वह सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण और सहनशील हो। वह विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे कि वे भी सत्य को पहिचानें, और इसके द्वारा उसकी इच्छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाएँ।
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