2 राजाओं 15
15
यहूदा का राजा अजर्याह (उज्जिय्याह)
(2 इति 26:1–23)
1इस्राएल के राजा यारोबाम के सत्ताईसवें वर्ष में यहूदा के राजा अमस्याह का पुत्र अजर्याह#15:1 अथवा उज्जिय्याह, 2 इति 26:1 राजा हुआ। 2जब वह राज्य करने लगा तब सोलह वर्ष का था, और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम यकोल्याह था, जो यरूशलेम की थी। 3जैसे उसका पिता अमस्याह किया करता था जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था, वैसे ही वह भी करता था। 4तौभी ऊँचे स्थान गिराए न गए; प्रजा के लोग उस समय भी उन पर बलि चढ़ाते, और धूप जलाते रहे। 5यहोवा ने उस राजा को ऐसा मारा, कि वह मरने के दिन तक कोढ़ का रोगी रहा, और अलग एक घर में रहता था। योताम नामक राजपुत्र उसके घराने के काम पर अधिकारी होकर देश के लोगों का न्याय करता था। 6अजर्याह के और सब काम जो उसने किए, वह क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं? 7अन्त में अजर्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको दाऊदपुर में उसके पुरखाओं के बीच मिट्टी दी गई,#यशा 6:1 और उसका पुत्र योताम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
इस्राएल का राजा जकर्याह
8यहूदा के राजा अजर्याह के अड़तीसवें वर्ष में यारोबाम का पुत्र जकर्याह इस्राएल पर शोमरोन में राज्य करने लगा, और छ: महीने राज्य किया। 9उसने अपने पुरखाओं के समान वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, अर्थात् नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उनसे वह अलग न हुआ। 10याबेश के पुत्र शल्लूम ने उसके विरुद्ध राजद्रोह की गोष्ठी करके उसको प्रजा के सामने मारा, और उसका घात करके उसके स्थान पर राजा हुआ। 11जकर्याह के और काम इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। 12यों यहोवा का वह वचन पूरा हुआ, जो उसने येहू से कहा था, “तेरे परपोते के पुत्र तक तेरी सन्तान इस्राएल की गद्दी पर बैठती जाएगी।”#2 राजा 10:30 और वैसा ही हुआ।
इस्राएल का राजा शल्लूम
13यहूदा के राजा उज्जिय्याह#15:13 अथवा अजर्याह के उनतालीसवें वर्ष में याबेश का पुत्र शल्लूम राज्य करने लगा, और महीने भर शोमरोन में राज्य करता रहा। 14क्योंकि गादी के पुत्र मनहेम ने तिर्सा से शोमरोन को जाकर याबेश के पुत्र शल्लूम को वहीं मारा, और उसे घात करके उसके स्थान पर राजा हुआ। 15शल्लूम के अन्य काम और उसने राजद्रोह की जो गोष्ठी की, यह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है। 16तब मनहेम ने तिर्सा से जाकर, सब निवासियों और आस पास के देश समेत तिप्सह को इस कारण मार लिया कि तिप्सहियों ने उसके लिये फाटक न खोले थे, इस कारण उसने उन्हें मार लिया, और उसमें जितनी गर्भवती स्त्रियाँ थीं, उन सभों को चीर डाला।
इस्राएल का राजा मनहेम
17यहूदा के राजा अजर्याह के उनतालीसवें वर्ष में गादी का पुत्र मनहेम इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दस वर्ष शोमरोन में राज्य करता रहा। 18उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात् नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उनसे वह जीवन भर अलग न हुआ। 19अश्शूर के राजा पूल ने देश पर चढ़ाई की, और मनहेम ने उसको हज़ार किक्कार#15:19 अर्थात्, लगभग 37 टन चाँदी इस इच्छा से दी कि वह उसका सहायक होकर राज्य को उसके हाथ में स्थिर रखे। 20यह चाँदी अश्शूर के राजा को देने के लिये मनहेम ने बड़े बड़े धनवान इस्राएलियों से ले ली, एक एक पुरुष को पचास पचास शेकेल#15:20 अर्थात्, लगभग 0.6 किलोग्राम चाँदी देनी पड़ी; तब अश्शूर का राजा देश को छोड़कर लौट गया। 21मनहेम के और काम जो उसने किए, वे सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं? 22अन्त में मनहेम अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुत्र पकह्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
इस्राएल का राजा पकह्याह
23यहूदा के राजा अजर्याह के पचासवें वर्ष में मनहेम का पुत्र पकह्याह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दो वर्ष तक राज्य करता रहा। 24उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात् नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उनसे वह अलग न हुआ। 25उसके सरदार रमल्याह के पुत्र पेकह ने उसके विरुद्ध राजद्रोह की गोष्ठी करके, शोमरोन के राजभवन के गुम्मट में उसको और उसके संग अर्गोब और अर्ये को मारा; और पेकह के संग पचास गिलादी पुरुष थे, और वह उसका घात करके उसके स्थान पर राजा बन गया। 26पकह्याह के और सब काम जो उसने किए, वह इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।
इस्राएल का राजा पेकह
27यहूदा के राजा अजर्याह के बावनवें वर्ष में रमल्याह का पुत्र पेकह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और बीस वर्ष तक राज्य करता रहा। 28उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात् नबात के पुत्र यारोबाम, जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उनसे वह अलग न हुआ।
29इस्राएल के राजा पेकह के दिनों में अश्शूर के राजा तिग्लत्पिलेसेर ने आकर इय्योन, अबेल्बेत्माका, यानोह, केदेश और हासोर नामक नगरों को और गिलाद और गलील, वरन् नप्ताली के पूरे देश को भी ले लिया, और उनके लोगों को बन्दी बना कर अश्शूर को ले गया। 30उजिय्याह के पुत्र योताम के बीसवें वर्ष में एला के पुत्र होशे ने रमल्याह के पुत्र पेकह के विरुद्ध राजद्रोह की गोष्ठी करके उसे मारा, और उसे घात करके उसके स्थान पर राजा बन गया। 31पेकह के और सब काम जो उसने किए वह इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखें हैं।
यहूदा का राजा योताम
(2 इति 27:1–9)
32रमल्याह के पुत्र इस्राएल के राजा पेकह के दूसरे वर्ष में यहूदा के राजा उज्जिय्याह का पुत्र योताम राजा हुआ। 33जब वह राज्य करने लगा तब पच्चीस वर्ष का था, और यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम यरूशा था जो सादोक की बेटी थी। 34उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था, अर्थात् जैसा उसके पिता उज्जिय्याह ने किया था ठीक वैसा ही उसने भी किया। 35तौभी ऊँचे स्थान गिराए न गए, प्रजा के लोग उन पर उस समय भी बलि चढ़ाते और धूप जलाते रहे। यहोवा के भवन के ऊँचे फाटक को इसी ने बनाया था। 36योताम के और सब काम जो उसने किए, वे क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं? 37उन दिनों में यहोवा अराम के राजा रसीन को, और रमल्याह के पुत्र पेकह को यहूदा के विरुद्ध भेजने लगा। 38अन्त में योताम अपने पुरखाओं के संग सो गया और अपने मूलपुरुष दाऊद के नगर में अपने पुरखाओं के बीच उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र आहाज उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
वर्तमान में चयनित:
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