2 कुरिन्थियों 8:1-15

2 कुरिन्थियों 8:1-15 HINOVBSI

अब हे भाइयो, हम तुम्हें परमेश्‍वर के उस अनुग्रह का समाचार देते हैं जो मकिदुनिया की कलीसियाओं पर हुआ है। कि क्लेश की बड़ी परीक्षा में उनके बड़े आनन्द और भारी कंगालपन में उनकी उदारता बहुत बढ़ गई। उनके विषय में मेरी यह गवाही है कि उन्होंने अपनी सामर्थ्य भर वरन् सामर्थ्य से भी बाहर, मन से दिया। और इस दान में और पवित्र लोगों की सेवा में भागी होने के अनुग्रह के विषय में, हम से बार–बार बहुत विनती की, और जैसी हम ने आशा की थी, वैसी ही नहीं वरन् उन्होंने प्रभु को फिर परमेश्‍वर की इच्छा से हम को भी अपने आपको दे दिया। इसलिये हम ने तीतुस को समझाया कि जैसा उसने पहले आरम्भ किया था, वैसा ही तुम्हारे बीच में इस दान के काम को पूरा भी कर ले। इसलिये जैसे तुम हर बात में अर्थात् विश्‍वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्न में, और उस प्रेम में जो हम से रखते हो, बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ। मैं आज्ञा की रीति पर तो नहीं, परन्तु दूसरों के उत्साह से तुम्हारे प्रेम की सच्‍चाई को परखने के लिये कहता हूँ। तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह जानते हो कि वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया, ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ। इस बात में मेरी सलाह यही है : यह तुम्हारे लिये अच्छा है, जो एक वर्ष से न तो केवल इस काम को करने ही में, परन्तु इस बात के चाहने में भी प्रथम हुए थे, इसलिये अब यह काम पूरा करो कि जैसा इच्छा करने में तुम तैयार थे, वैसा ही अपनी अपनी पूंजी के अनुसार पूरा भी करो। क्योंकि यदि मन की तैयारी हो तो दान उसके अनुसार ग्रहण भी होता है जो उसके पास है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं। यह नहीं कि दूसरों को चैन और तुम को क्लेश मिले, परन्तु बराबरी के विचार से इस समय तुम्हारी बढ़ती उनकी घटी में काम आए, ताकि उनकी बढ़ती भी तुम्हारी घटी में काम आए कि बराबरी हो जाए। जैसा लिखा है, “जिसने बहुत बटोरा उसका कुछ अधिक न निकला, और जिसने थोड़ा बटोरा उसका कुछ कम न निकला।”

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