2 इतिहास 7
7
मन्दिर का समर्पण
(1 राजा 8:62–66)
1जब सुलैमान यह प्रार्थना कर चुका, तब स्वर्ग से आग ने गिरकर होमबलियों तथा अन्य बलियों को भस्म किया,#लैव्य 9:23,24 और यहोवा का तेज भवन में भर गया। 2याजक यहोवा के भवन में प्रवेश न कर सके, क्योंकि यहोवा का तेज यहोवा के भवन में भर गया था। 3जब आग गिरी और यहोवा का तेज भवन पर छा गया, तब सब इस्राएली देखते रहे, और फर्श पर झुककर अपना अपना मुँह भूमि की ओर किए हुए दण्डवत् किया, और यों कहकर यहोवा का धन्यवाद किया,
“वह भला है, उसकी करुणा सदा की है।”#1 इति 16:34; 2 इति 5:13; एज्रा 3:11; भजन 100:5; 106:1; 107:1; 118:1; 136:1; यिर्म 33:11
4तब सब प्रजा समेत राजा ने यहोवा को बलि चढ़ाई। 5राजा सुलैमान ने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़–बकरियाँ चढ़ाईं। यों पूरी प्रजा समेत राजा ने यहोवा के भवन की प्रतिष्ठा की। 6याजक अपना अपना कार्य करने को खड़े रहे, और लेवीय भी यहोवा के गीत गाने के लिये वाद्य–यन्त्र लिये हुए खड़े थे, जिन्हें दाऊद राजा ने यहोवा की सदा की करुणा के कारण उसका धन्यवाद करने को बनाकर उनके द्वारा स्तुति कराई थी; और इनके सामने याजक लोग तुरहियाँ बजाते रहे; और सब इस्राएली खड़े रहे।
7फिर सुलैमान ने यहोवा के भवन के सामने आँगन के बीच एक स्थान पवित्र करके होमबलि और मेलबलियों की चर्बी वहीं चढ़ाई, क्योंकि सुलैमान की बनाई हुई पीतल की वेदी होमबलि और अन्नबलि और चर्बी के लिये छोटी थी।
8उस समय सुलैमान ने और उसके संग हमात की घाटी से लेकर मिस्र के नाले तक के समस्त इस्राएल की एक बहुत बड़ी सभा ने सात दिन तक पर्व को माना। 9आठवें दिन उन्होंने महासभा की, उन्होंने वेदी की प्रतिष्ठा सात दिन की; और पर्वों को भी सात दिन माना। 10सातवें महीने के तेइसवें दिन को उसने प्रजा के लोगों को विदा किया, कि वे अपने अपने डेरे को जाएँ, और वे उस भलाई के कारण जो यहोवा ने दाऊद और सुलैमान और अपनी प्रजा इस्राएल पर की थी आनन्दित थे।
राजा सुलैमान को परमेश्वर का पुन: दर्शन
(1 राजा 9:1–9)
11यों सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और यहोवा के भवन में और अपने भवन में जो कुछ उसने बनाना चाहा, उसमें उसका मनोरथ पूरा हुआ। 12तब यहोवा ने रात में उसको दर्शन देकर उससे कहा, “मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी और इस स्थान को यज्ञ के भवन के लिये अपनाया है। 13यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूँ, कि वर्षा न हो, या टिड्डियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूँ, या अपनी प्रजा में मरी फैलाऊँ, 14तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूँगा। 15अब से जो प्रार्थना इस स्थान में की जाएगी, उस पर मेरी आँखें खुली और मेरे कान लगे रहेंगे। 16क्योंकि अब मैं ने इस भवन को अपनाया और पवित्र किया है कि मेरा नाम सदा के लिये इसमें बना रहे; मेरी आँखें और मेरा मन दोनों नित्य यहीं लगे रहेंगे। 17यदि तू अपने पिता दाऊद के समान अपने को मेरे सम्मुख जानकर#7:17 मूल में, मेरे सामने चलता रहे और मेरी सब आज्ञाओं के अनुसार किया करे, और मेरी विधियों और नियमों को मानता रहे, 18तो मैं तेरी राजगद्दी को स्थिर रखूँगा; जैसे कि मैं ने तेरे पिता दाऊद के साथ वाचा बाँधी थी, कि तेरे कुल में इस्राएल पर प्रभुता करनेवाला सदा बना रहेगा।#1 राजा 2:4 19परन्तु यदि तुम लोग फिरो, और मेरी विधियों और आज्ञाओं को जो मैं ने तुम को दी हैं त्यागो, और जाकर पराये देवताओं की उपासना करो और उन्हें दण्डवत् करो, 20तो मैं उनको अपने देश में से जो मैं ने उनको दिया है, जड़ से उखाड़ूँगा; और इस भवन को जो मैं ने अपने नाम के लिये पवित्र किया है, अपनी दृष्टि से दूर करूँगा; और ऐसा करूँगा कि देश देश के लोगों के बीच उसकी उपमा और नामधराई चलेगी। 21यह भवन जो इतना विशाल है, उसके पास से आने जाने वाले चकित होकर पूछेंगे, ‘यहोवा ने इस देश और इस भवन से ऐसा क्यों किया है?’ 22तब लोग कहेंगे, ‘उन लोगों ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को जो उनको मिस्र देश से निकाल लाया था, त्यागकर पराये देवताओं को ग्रहण किया, और उन्हें दण्डवत् की और उनकी उपासना की, इस कारण उसने यह सब विपत्ति उन पर डाली है।’ ”
वर्तमान में चयनित:
2 इतिहास 7: HINOVBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.