1 शमूएल 3:1-14

1 शमूएल 3:1-14 HINOVBSI

वह बालक शमूएल एली के सामने यहोवा की सेवा टहल करता था। उन दिनों में यहोवा का वचन दुर्लभ था; और दर्शन कम मिलता था। और उस समय ऐसा हुआ कि (एली की आँखे तो धुँधली होने लगी थीं और उसे न सूझ पड़ता था) जब वह अपने स्थान में लेटा हुआ था, और परमेश्‍वर का दीपक अब तक बुझा नहीं था, और शमूएल यहोवा के मन्दिर में जहाँ परमेश्‍वर का सन्दूक था लेटा था; तब यहोवा ने शमूएल को पुकारा; और उसने कहा, “क्या आज्ञा!” तब उसने एली के पास दौड़कर कहा, “क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है।” वह बोला, “मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह।” तो वह जाकर लेट गया। तब यहोवा ने फिर पुकार के कहा, “हे शमूएल!” शमूएल उठकर एली के पास गया, और कहा, “क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है।” उसने कहा “हे मेरे बेटे, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह।” उस समय तक शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था। फिर तीसरी बार यहोवा ने शमूएल को पुकारा। और वह उठके एली के पास गया और कहा, “क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है।” तब एली ने समझ लिया कि इस बालक को यहोवा ने पुकारा है। इसलिये एली ने शमूएल से कहा, “जा लेट रह; और यदि वह तुझे फिर पुकारे, तो तू कहना, ‘हे यहोवा कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।’ ” तब शमूएल अपने स्थान पर जाकर लेट गया। तब यहोवा आ खड़ा हुआ, और पहले के समान पुकारा, “शमूएल! शमूएल!” शमूएल ने कहा, “कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।” यहोवा ने शमूएल से कहा, “सुन, मैं इस्राएल में एक ऐसा काम करने पर हूँ जिससे सब सुननेवालों पर बड़ा सन्नाटा छा जाएगा। उस दिन मैं एली के विरुद्ध वह सब कुछ पूरा करूँगा जो मैं ने उसके घराने के विषय में कहा, उसे आरम्भ से अन्त तक पूरा करूँगा। क्योंकि मैं तो उसको यह कहकर जता चुका हूँ, कि मैं उस अधर्म के कारण जिसे वह जानता है सदा के लिये उसके घर का न्याय करूँगा, क्योंकि उसके पुत्र आप शापित हुए हैं, और उसने उन्हें नहीं रोका। इस कारण मैं ने एली के घराने के विषय यह शपथ खाई, कि एली के घराने के अधर्म का प्रायश्‍चित्त न तो मेलबलि से कभी होगा, और न अन्नबलि से।”