जब शाऊल हाथ में भाला लिए हुए घर में बैठा था; और दाऊद हाथ से वीणा बजा रहा था, तब यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा शाऊल पर चढ़ा। शाऊल ने चाहा, कि दाऊद को ऐसा मारे कि भाला उसे बेधते हुए भीत में धँस जाए; परन्तु दाऊद शाऊल के सामने से ऐसा हट गया कि भाला जाकर भीत ही में धँस गया। और दाऊद भागा, और उस रात को बच गया। तब शाऊल ने दाऊद के घर पर दूत इसलिये भेजे कि वे उसकी घात में रहें, और सबेरे उसे मार डालें। तब दाऊद की स्त्री मीकल ने उसे यह कहकर जताया, “यदि तू इस रात को अपना प्राण न बचाए, तो सबेरे मारा जाएगा।” तब मीकल ने दाऊद को खिड़की से उतार दिया; और वह भाग कर बच निकला। तब मीकल ने गृहदेवताओं को ले चारपाई पर लिटाया, और बकरियों के रोएँ की तकिया उसके सिरहाने पर रखकर उन को वस्त्र ओढ़ा दिए। जब शाऊल ने दाऊद को पकड़ लाने के लिये दूत भेजे, तब वह बोली, “वह तो बीमार है।” तब शाऊल ने दूतों को दाऊद के देखने के लिये भेजा, और कहा, “उसे चारपाई समेत मेरे पास लाओ कि मैं उसे मार डालूँ।” जब दूत भीतर गए, तब क्या देखते हैं कि चारपाई पर गृहदेवता पड़े हैं, और सिरहाने पर बकरियों के रोएँ की तकिया है। अत: शाऊल ने मीकल से कहा, “तू ने मुझे ऐसा धोखा क्यों दिया। तू ने मेरे शत्रु को ऐसे क्यों जाने दिया कि वह बच निकला है?” मीकल ने शाऊल से कहा, “उसने मुझ से कहा, ‘मुझे जाने दे; मैं तुझे क्यों मार डालूँ’।”
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